लखनऊ, कानपुर, आगरा, वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर के ड्राइवर वर्चुअल-सत्र में शामिल होंगे
एनजीओ, मानस फाउंडेशन के साथ यह विस्तारित साझेदारी भारत के 34 शहरों तक पहुंचेगी
महामारी से पूर्व 63,000 ड्राइवर्स को वैयक्तिक रूप से सत्रों द्वारा जागरुक बनाया गया
लखनऊ। सुरक्षा की मानकों की बेहतरी के अपने निरंतर प्रयास के तहत, ऊबर ने उत्तर प्रदेश में ऊबर के ड्राइवर्स के लिए लैंगिक संवेदनशीलता के वर्चुअल सत्रों का आयोजन शुरू किया है।
छः शहरों – लखनऊ, कानपुर, आगरा, वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर – ऊबर से जुड़े ड्राइवर्स यह सीखने के लिए पहले सत्र में शामिल हुए कि महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने में वो क्या योगदान दे सकते हैं।
इससे पहले इस माह कंपनी ने मानसिक स्वास्थ्य, लैंगिक समानता एवं न्याय के क्षेत्र में काम कर रही दिल्ली स्थित एनजीओ, मानस फाउंडेशन के साथ विस्तारित साझेदारी में 100,000 ड्राइवर्स को 2021 के अंत तक जेंडर सेंसिटाइज करने के अपने उद्देश्य की घोषणा की थी।
ऊबर ने मानस फाउंडेशन के साथ पहली साझेदारी 2018 में चुनिंदा ड्राइवर्स को जागरुक करने और यह सुनिश्चित करने के लिए की थी कि वो महिला राइडर्स की जरूरतों के प्रति सावधान एवं विनम्र रहें। महामारी से पहले भारत के 7 शहरों में आयोजित वैयक्तिक रूप से सत्रों द्वारा इस साझेदारी ने 63,000 ड्राइवर्स को सेंसिटाइज़ किया। कोविड-19 के कारण इन सत्रों को थोड़ा विराम देने के बाद ऊबर इंडिया एवं मानस फाउंडेशन अब 34 शहरों में ज़ूम पर ये सत्र वर्चुअली चला रहे इन शहरों की सूची के लिए, न्यूज़रूम पोस्ट यहां देखें।
ये जेंडर सेंसिटाइज़ेशन सत्र ड्राइवर्स को इस बारे में शिक्षित करते हैं कि महिला एवं पुरुष जन परिवहन व्यवस्था का इस्तेमाल कैसे करते हैं, महिलाएं सार्वजनिक स्थानों पर कितने उत्पीड़न का शिकार होती हैं और इस समस्या का समाधान करने में ड्राइवर्स की क्या भूमिका है। वो यह भी सीखते हैं कि अपने व्यवसायिक व्यवहार को किस प्रकार संशोधित करें ताकि महिलाएं और ज़्यादा सुरक्षित महसूस करें और वो समाधान का हिस्सा बनने के लिए संकल्पबद्ध हों।
इस साझेदारी के बारे में पवन वैश, हेड आॅफ ड्राइवर, सप्लाई एवं सिटी आॅपरेशंस (मोबिलिटी), भारत एवं दक्षिण एशिया, ऊबर ने कहा, ‘‘ऊबर का हर कार्य सुरक्षा पर केंद्रित है। हमारा उद्देश्य है कि महिलाओं के लिए सुरक्षित परिवहन संभव हो, जिसका उनके द्वारा चुने जाने वाले विकल्पों एवं उन्हें उपलब्ध अवसरों पर गहरा असर होता है। मानस फाउंडेशन के साथ हमारी साझेदारी को ड्राइवर्स ने काफी सकारात्मकता के साथ अपनाया और वो अपनी कार में गर्व के साथ अपने प्रमाणपत्रों का प्रदर्शन करते हैं। हमें खुशी है कि हम इस कार्यक्रम का विस्तार इस साल और ज्यादा शहरों में कर रहे हैं। हम इस प्रोग्राम को और ज्यादा विस्तृत करने के लिए काम करते रहेंगे।’’
इस साझेदारी पर मोनिका कुमार, को-फाउंडर, मानस फाउंडेशन ने कहा, ‘‘परिवहन को सबके लिए सुरक्षित एवं एक समान बनाने के लिए हम ड्राइवर्स को एक महत्वपूर्ण अंशधारक मानते हैं। वो महिलाओं की मोबिलिटी को बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं और ये जेंडर सेंसिटाइज़ेशन सत्र उन्हें सामाजिक रूप से जिम्मेदार बनाने और उनके व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। हमें ऊबर के साथ जेंडर सेंसिटाइज़ेशन कार्यक्रम का विस्तार करने की खुशी है हमें विश्वास है कि ये नए वर्चुअल सत्र पसंद किए जाएंगे और हम महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने में अपना योगदान दे सकेंगे।’’
अपने प्लेटफाॅर्म पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए ऊबर ने अपने वैश्विक ड्राइविंग चेंज अभियान के तहत 2022 तक वैचारिक नेतृत्व करने वाले महिला सुरक्षा संगठनों को 5 मिलियन डाॅलर का सहयोग देने का संकल्प लिया है।
ऊबर अनेक सुरक्षा विशेषताओं द्वारा अपने प्लेटफाॅर्म पर राइडर की सुरक्षा बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा है। इन सुरक्षा विशेषताओं में टू-वे फीडबैक एवं रेटिंग, टेलीमेटिक्स एवं जीपीएस आदि शामिल हैं। राइडर यह जानकर सुरक्षित महसूस करते हैं कि वो अपने प्रियजनों के साथ ट्रिप साझा कर सकते हैं, उनके फोन नंबर छिपे रहते हैं और ड्राइवर्स की स्क्रीनिंग की गई होती है।
आपातकाल के दौरान, सुरक्षा टूलकिट के अंदर, इन-ऐप इमरजेंसी बटन, राइडर्स को एक बटन टच करते ही कानून प्रवर्तन अधिकारियों से जोड़ता है। इसके अलावा, ऊबर का समर्पित 24 ग् 7 सेफ्टी हैल्पलाइन नंबर ट्रिप के दौरान या ट्रिप समाप्त होने के 30 मिनट बाद तक राइडर्स को गैर-आपातकालीन समस्या के मामले में जरूरत पड़ने पर, सीधे ऊबर की सुरक्षा टीम के प्रतिनिधि से बात करने में समर्थ बनाता है।