इस उपचार से बूढ़े हो जाएंगे जवान, घट जाएगी 25 साल उम्र!

बुढ़ापा एक ऐसा सच है जिसे हर किसी को स्वीकार करना ही पड़ता है. अक्सर बढ़ती उम्र के साथ कई लोगों में आत्मविश्वास कम होने लगता है. कई लोग तो डिप्रेशन में भी चले जाते हैं. लेकिन अब ऐसे लोगों को परेशान होने की जरुरत नहीं है क्योंकि इजरायल के वैज्ञानिकों की मानें तो जल्द ही आप उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को उलटने में कामयाब हो सकते हैं.

दरअसल ‘Tel Aviv University’ और शमीर मेडिकल सेंटर के वैज्ञानिकों ने ना केवल बढ़ती उम्र को रोकने का दावा किया है, बल्कि ऑक्सीजन ट्रीटमेंट के जरिये इलाज से आपको वापस जवान बनाया जा सकता है. यानी यह प्रक्रिया उम्र बढ़ने से तो रोक ही सकती है इसके साथ साथ बीमारियां भी ठीक कर सकती है. और आपको कई साल जवान भी बना सकती है.

इस रिसर्च के मुताबिक वैज्ञानिकों में से एक शैई एफराटी ने द यरुशलम पोस्ट को बताया है कि ‘सेलुलर आधार’ उम्र बढ़ने की सामान्य प्रक्रिया को रोका जा सकता है. उनके मुताबिक ‘टेलोमेर शॉर्टनिंग’ मैकेनिज्म को जीव विज्ञान का ‘पवित्र होली ग्रेल’ बताया है. उन्होंने दावा किया है कि उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को कम किया जा सकता है. तो वहीं एफराटी ने इस शोध को युवा वैज्ञानिकों के लिए नई उम्मीद बताया है

https://twitter.com/TitikaMari/status/1329403566805618690?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1329403566805618690%7Ctwgr%5E%7Ctwcon%5Es1_&ref_url=https%3A%2F%2Fwww.vknewsindia.in%2Finternational-news%2Fin-this-research-of-israel-now-the-land-will-not-be-found-touching-you-can-make-you-young-for-25-years-110351%2F

शोध में शामिल एक वैज्ञानिक अमीर हैडनी ने दावा किया कि जीवनशैली में बदलाव और व्यायाम उम्र बढ़ने को सीमित करने में मदद करते हैं, लेकिन ‘ऑक्सीजन आधारित उपचार’ ज्यादा फायदेमंद है. अध्ययन में पाया है कि हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी HBOT के केवल तीन महीने टेलोमेरस को बढ़ाने में सक्षम हैं. ये थेरपी एक प्रकार का उपचार है जिसका इस्तेमाल कार्बन मोनोऑक्साइड के विषेले, जिद्दी घावों और कई संक्रमणों को ठीक करने के लिए किया जाता है, जिसमें जो टीशू ऑक्सीजन के लिए भूखे होते हैं उन्हें ऑक्सीजन दी जाती है.’ अध्ययन में दावा किया गया है कि 25 साल तक पहले जैसे शारीरिक संरचना में बदलाव आ सकते हैं, यानि की व्यक्ति आज की उम्र के हिसाब के 25 वर्ष पहले जैसा हो सकता है.

अब ये शोध कितना सही साबित होता है और कितने लोगों को इसका फ़ायदा मिलेगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें