
-होम आईसोलेट मरीजों को नही मिल रही दवा व स्वास्थ्य जांच का लाभ
-कंटेनमेंट जोन में नही की जा रही नियमित छिड़काव व सेनिटाइजेशन
गोरखपुर
बता दें कि गोला क्षेत्र में कोरोना की पहली लहर में कुछ गिने-चुने ही केस थे। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में पंचायत चुनाव के बाद से ही सीएचसी पर कोरोना जांच के लिए भीड़ उमड़ रही। और हर दिन जांच में औसतन 15 पाजिटिव केस मिल जा रहें। इस समय क्षेत्र में कोरोना के लगभग 85 सक्रिय केस है। इतनी बड़ी संख्या में पाजिटिव केस मिलने के बावजूद जिम्मेदार लापरवाह बने हुए हैं। आलम यह है कि कोरोना जांच में पाजिटिव केस मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग तत्काल दवा का किट तो दे रही, लेकिन होम आईसोलेट मरीजों के स्वास्थ्य जांच को कभी कभार ही टीम पहुंच रही। अकेले उपनगर में ही कोरोना संक्रमण को लेकर 7 मिनी कंटेनमेंट जोन व डेढ दर्जन से अधिक हाॅट स्पाट बनाए गए। उपनगर के वार्ड संख्या चार में कोरोना संक्रमण के बाद होम आईसोलेशन में रह रही महिला की इलाज के अभाव में मौत हो गई थी। इस लापरवाही पर छीछालेदर के बाद जगे स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल मेडिकल टीम भेजकर सभी का जांच कराया तो नगर पंचायत प्रशासन ने छीड़काव कराया। लेकिन उसके बाद से नगर पंचायत व स्वास्थ्य विभाग भूल गए। मृतका के बेटे मुकेश ने सोशल मीडिया पर विभागों की लापरवाही पर अपनी व्यथा जाहिर की। इसी तरह कस्बे में अन्य कंटेनमेंट जोन व हाॅट स्पाट में रहने वाले मरीजों के परिजनों ने नगर पंचायत पर नियमित छिड़काव व सेनिटाइजेशन नही कराने का आरोप लगाया तो स्वास्थ्य विभाग पर होम आईसोलेट मरीजों की नियमित स्वास्थ्य जांच, सलाह व दवा नही देने का आरोप लगाया।
इस संबंध में सीएचसी अधीक्षक योगेंद्र नारायण ने बताया कि जांच के बाद कोरोना पाजिटिव निकलने के बाद मरीजों को दवा का किट दिया जा रहा। तथा होम आईसोलेशन में रहने वाले मरीजों का आर आर टीम को नियमित जांच कर रही। तो वहीं नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी राघवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि उपनगर में सात मिनी कंटेनमेंट जोन बनाया गया है। जहां नियमित सफाई व छिड़काव कार्य किया जा रहा। लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।










