आॅक्सीजन न मिलने पर रिटायर्ड फौजी की मौत, बेटा न होने पर चिता को बेटी ने दी मुखाग्नि, हर आॅख हुई नम


  • भोगांव/मैनपुरी। भारत देश में फैली कोरोना महामारी के बीच अस्पतालों में बेड की कमी पड़ गई है। सेना से रिटायर फौजी को मिलिट्री हॉस्पिटल में बेड़ नहीं मिला तो परिजनों ने उन्हें प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करा दिया। यहां ऑक्सीजन न मिलने से सेवानिवृत्त फौजी की मौत हो गई। रविवार को जब शव गांव आया तो हर आॅख नम हो गई। बेटा न होने पर उनकी बेटी ने चिता को मुखाग्नि दी। साथ ही मामले की शिकायत मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से करने की बात कही।

थाना क्षेत्र के ग्राम बरा सूरजपुर निवासी रिटायर्ड फौजी महेंद्र सिंह लोधी को पांच दिन पहले डायबिटीज बढ़ने पर उनकी बेटी संध्या मिलिट्री हॉस्पिटल बरेली ले गई। संध्या ने बताया कि मिलिट्री हॉस्पिटल में बेड खाली नहीं होने पर उनके पिता को रेफर कर दिया गया। इसके चलते उन्होंने अपने फौजी पिता को रुहेलखंड हॉस्पिटल बरेली में उसी दिन भर्ती करा दिया। हॉस्पिटल में भर्ती करने के बाद उन्हें कोरोना वार्ड में भर्ती तो कर लिया गया। लेकिन उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने के बाद भी ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं कराई गई। बेटी ने बताया कि पिता ने चिकित्सीय सुविधा नहीं मिलने की शिकायत उससे करते हुए घर ले चलने की इच्छा जाहिर की। इस पर उसने हॉस्पिटल कर्मचारियों से पिता को रिलीव करने को कहा परंतु हॉस्पिटल प्रशासन ने ऐसा करने से मना कर दिया। पिता को ऑक्सीजन नहीं मिली जिससे उनकी दम घुटने से मौत हो गई।

उनकी बेटी संध्या के अनुसार पिता की मौत के चार घंटे बाद उनका शव पीपीई किट में लिपटा उन्हें सौंपा गया। बेटी ने बताया कि अस्पताल प्रशासन ने उन्हें पिता की कोरोना रिपोर्ट नहीं दी। यदि पिता कोरोना संक्रमित थे तो उनके शव के अंतिम संस्कार के लिए कोविड गाइड लाइन का पालन क्यों नहीं किया गया। बेटी संध्या ने आरोप लगाया है कि पिता की मौत अस्पताल प्रशासन की अनदेखी से हुई है। इस संबंध में वह प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से शिकायत करेगी। रविवार को सेवानिवृत्त फौजी का अंतिम संस्कार उनके गांव में किया गया।

बेटी ने दी चिता को मुखाग्नि
महेंद्र सिंह लोधी के बेटा नहीं हैं। उनके तीन बेटियां हैं। परिजनों के अनुसार सबसे बड़ी बेटी रेखा, दूसरी बेटी मनोज की शादी हो चुकी है। छोटी बेटी संध्या भी शादी योग्य है। पिता की मौत के बाद रविवार को संध्या ने बेटी होते हुए बेटे का फर्ज निभाया। संध्या ने पिता की चिता को मुखाग्नि देने के साथ ही अंतिम क्रिया की।

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