
कोरोना की दूसरी लहर के बीच उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव कराने का नतीजा सामने आने लगा है। पिछले एक महीने के अंदर प्रदेश में कोरोना की रफ्तार 120% तेजी से बढ़ी है। आसान तरीके से समझें तो 4 अप्रैल तक UP में 6 लाख 30 हजार लोग संक्रमित हो चुके थे। मतलब पिछले साल 30 जनवरी से लेकर इस साल 4 अप्रैल तक प्रदेश में इतने मरीज मिले थे, लेकिन, इसके बाद जब पंचायती चुनाव को लेकर प्रचार-प्रसार शुरू हुआ तो संक्रमितों का आंकड़ा महज एक महीने के अंदर बढ़कर 14 लाख पहुंच गया।
2.59 लाख एक्टिव केस, बेड और ऑक्सीजन का संकट बढ़ा
संक्रमण के मामलों में इजाफा होते ही अस्पतालों में बेड, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन कम पड़ गए। मेडिकल स्टोर पर दवाइयां नहीं मिल रहीं। गांवों में तो इससे भी बुरे हालात हैं। ग्रामीण इलाके में रहने वाले लोगों का कहना है कि उन्हें मेडिकल स्टोर से पहले जो बुखार की दवा मिल जाती थी वो भी अब नहीं मिल रही है। प्रदेश में अभी 2.59 लाख मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है। बाकी 11.51 लाख लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 14 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
पंचायत चुनाव के दौरान संक्रमण के चलते मौत के मामलों में भी इजाफा हुआ है। इस 5 अप्रैल से 5 मई तक के सरकारी आंकड़ों को देखें तो इस दौरान सरकारी आंकड़ों में कुल 5,257 लोगों ने जान गंवाई है। इससे पहले 4 अप्रैल तक 8,894 मौतें हुईं थीं। इस तरह से पंचायत चुनाव के दौरान मौत के मामलों में 59.10% की बढ़ोरती हुई है।
2,000 से ज्यादा कर्मचारियों की मौत, 137 पुलिसकर्मियों ने दम तोड़ा
उत्तर प्रदेश में 15 अप्रैल से 5 मई तक चले पंचायत चुनावों में ड्यूटी करने वाले 2,000 से ज्यादा शिक्षकों और कर्मचारियों की मौत हो गई। उत्तर प्रदेश कर्मचारी संघ संयुक्त परिषद ने दावा किया है कि इन चुनावों में ड्यूटी करने गए 2,000 से ज्यादा लोगों की संक्रमण के चलते मौत हो गई है।
परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी ने मीडिया से कहा कि मृतकों में अलग-अलग विभागों के कर्मचारी और करीब 1,000 टीचर भी शामिल हैं। वहीं, प्रदेश के ADG लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने बताया कि इस दौरान 137 पुलिसकर्मियों की भी मौत हो गई। इनके अलावा 4,117 पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव भी पाए गए।













