
कानपुर। नॉन कोविड मरीजों खासकर सांस,हाईबीपी और शुगर के मरीजों को अभी भी कठिनाइयों के दौर से गुजरना पड़ रहा है। कमोबेश यही स्थिति हार्ट के मरीजों की भी है। चाहे कार्डियोलॉजी हो या अन्य कोई हाँस्पिटल,सबका रवैया एक जैसा ही है। मानवीय संवेदनाओं की किसी को कोई परवाह नहीं है। तीमारदारों को अपने मरीजों को भर्ती करने करने के लिए अभी भी मिन्नतें करनी पड़ रही है।
शुक्लागंज उन्नाव निवासी प्रिंस कुमार गौतम के बुजुर्ग पिता सुनील कुमार हार्ट के मरीज है। सोमवार सुबह वो अपने पिता को लेकर कार्डियोलाजी पहुंचे। वहाँ जाँच कराने पर बुजुर्ग में निमोनिया की पुष्टि होने पर उन्हें हैलट रेफर कर दिया गया। हैलट इमर्जेन्सी पहुँचने पर बुजुर्ग की हालत बिगड़ने लगी और सांस लेने में दिक्कत होने लगी। यहाँ डॉक्टर ने चेकअप करने के बाद बुजुर्ग को कार्डियोलॉजी रेफर कर दिया।
जेके कालोनी जाजमऊ निवासी अनिल कुमार शर्मा प्राइवेट जाँब कर्मी हैं। सोमवार सुबह पत्नी रेखा को हाई बीपी, शुगर व सांस की दिक्कत होने पर वो जाजमऊ स्थित इएसआई हाँस्पिटल पहुंचे। महिला के पति ने बताया यहाँ डाँक्टर ने भर्ती करने के बजाय हैलट रेफर कर दिया। दोपहर हैलट इमर्जेन्सी पहुँचने पर यहां डाँक्टर ने पहले कुछ जांचे कराने के लिए भेजा।
ग्राम नौरंगा घाटमपुर निवासी राजा अपने बुजुर्ग पिता दुर्गा प्रसाद को सांस की दिक्क्त होने पर सुबह गंभीर हालत में लेकर सीएचसी पहुंचे। बेटे के मुताबिक,पिता को सीएचसी में भर्ती नहीं किया। जब उन्होंने डॉक्टर से भर्ती करने के लिए विनती की तो इस पर पिता को हैलट रेफर कर दिया गया। हैलट इमर्जेन्सी पहुँचने पर इलाज शुरू किया गया।










