4 महीने में ही क्यों छिन गई तीरथ सिंह रावत की कुर्सी ?, पढ़े इनसाइड स्टोरी

20 साल में 11 मुख्‍यमंत्री देख चुके उत्‍तराखंड में अब एक और नए मुख्‍यमंत्री के शपथ ग्रहण की तैयारी है । बीतें कुछ दिनों से चल रही सियासी हलचल के बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। रावत ने बीते 10 मार्च को ही मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली थी । रावत, 4 महीने का कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पाए । अब मुख्‍यमंत्री के पद से उनके इसतीफे के बाद आज तीन बजे देहरादून में भाजपा विधायक दल की बैठक होनी है जिसमें नया नेता चुना जाएगा। लेकिन रावत ने आखिर पद छोड़ा क्‍यों, क्‍या उन्‍हें छोड़ना पड़ा । आगे पढ़ें… इसके लिए किन वजहों को जिम्‍मेदार बताया जा रहा है ।

उपचुनाव
उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में अब एक वर्ष से भी कम का समय बचा है । पद पर बने रहने के लिए तीरथ सिंह रावत का 10 सितम्बर तक विधानसभा सदस्य चुना जाना संवैधानिक बाध्यता है, लेकिन उपचुनाव न होने की संभावना के चलते यही एक विकल्प बचा था । इस्‍तीफा देने के बाद खुद रावत ने कहा कि वे जनप्रतिधि कानून की धारा 191 ए के तहत छह माह की तय अवधि में चुनकर नहीं आ सकते। इसलिए वो पद से इस्तीफा दे रहे हैं । तीरथ ने पार्टी के शीर्ष नेताओं को इस बात का धन्यवाद भी किया ।

संवैधानिक समस्या
तीरथ सिंह रावत ने संवैधानिक समस्‍या का हवाला देकर पद छोड़ दिया, दरअसल संविधान के मुताबिक पौड़ी गढ़वाल से भाजपा सांसद तीरथ सिंह रावत को 6 महीने के भीतर विधानसभा उपचुनाव जीतना था । इसी के बाद वो मुख्यमंत्री पर बने रहते । ये उन्‍हें 10 सितंबर से पहले करना था । कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया था कि तीरथ सिंह गंगोत्री से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन पिछले दिनों चुनाव आयोग ने सितंबर से पहले उपचुनाव कराने से इनकार कर दिया । इसी वजह से सीएम रावत के सामने विधायक बनने का संवैधानिक संकट खड़ा हो गया।

115 दिन का कार्यकाल
उत्‍तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के इस्तीफे के बाद तीरथ सिंह रावत ने 10 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी । इस तरह वो सिर्फ 115 दिन ही  मुख्यमंत्री के पद पर रहे । रावत, ऐसे मुख्यमंत्री रहे, जिन्हें विधानसभा में बतौर नेता सदन उपस्थित रहने का मौका नहीं मिला। आपको बता दें राज्‍य में अगले चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने स्तिथि साफ नहीं की है, कोरोना के बीच ये फैसला अभी लिया जाना बाकी है ।

3 दिन, दो मुलाकात के बाद इस्‍तीफा
मीडिया रिपोर्अ के अनुसार, रावत ने आसानी से इस्तीफा नहीं दिया है, इसके लिए बीजेपी को तीन दिन और दो मीटिंग की जरूरत पड़ी । दरअसल, उत्तराखंड में बीजेपी की इस सियासी हलचल पर मंथन पिछले तीन दिनों से राजधानी दिल्ली में चल रहा था। इस बीच मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने तीन दिन के भीतर भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा से दो बार मुलाकात की। खबर है कि इन्हीं मुलाकातों के बाद रावत अपने पद से इस्तीफा देने को तैयार हुए। शुक्रवार देर शाम नड्डा से मुलाकात के बाद देहरादून जाकर उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया।