
पटना। ‘लव गुरु’ के नाम से मशहूर बिहार के मटुकनाथ चौधरी बुधवार को 40 साल की नौकरी के बाद सेवानिवृत्त हो गएएक दशक पहले मटुकनाथ ने अपने प्यार की खातिर पहली पत्नी को छोड़ दिया था। मटुकनाथ 2006 में उस समय सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने अपने से 30 साल छोटी शिष्या जूली से लव मैरिज की थी। उनकी पत्नी ने टीवी पत्रकारों की सहायता से उस घर में छापा मारा था जहां वह अपनी पूर्व शिष्या के साथ लिव इन में रह रहे थे। इसके बाद उन्होंने सार्वजनिक रूप से जेएनयू से पासआउट छात्रा जूली कुमारी से अपने प्रेम संबंध को स्वीकार किया था।
”अब हम कैसे चलीं डगरिया
लोगवा नजर लगावेला!”
मटुकनाथ आगे लिखते हैं कि उनकी खुशनसीबी कि इस चढ़ती जवानी में रिटायर हो रहे हैं। लोग पूछते हैं कि रिटायरमेंट के बाद क्या कीजिएगा? मटुकनाथ कहते हैं कि चढ़ती जवानी में जो किया जाता है, वही करूंगा। मतलब यह कि ब्याह करेंगे।

मटुकनाथ कहते हैं, ”बरतुहार (लड़की वाले) बहुत तंग कर रहे हैं। उनकी आवाजाही बढ़ गई है। लेकिन मैं एक अनुशासित, शर्मीला और परंपरा प्रेमी ‘लरिका’ हूं। इसलिए खुद बरतुहार से बात नहीं करता हूं। उन्हें गार्जियन (अभिभावक) के पास भेज देता हूं। मेरे विद्यार्थी ही मेरे गार्जियन हैं। वे जो तय कर देंगे, आंख मूंदकर मानूंगा। उनसे बड़ा हितैषी मेरा कोई नहीं हो सकता।’मटुकनाथ का दावा है कि उनसे शादी करने के लिए लड़कियां कतार में खड़ी हैं और उनके लिए सही लड़की की पहचान उनके विद्यार्थी करेंगे।
फेसबुक पोस्ट में आगे लिखते हैं,
”विदा हुआ वह मटुकनाथ जो योजना बनाता था और उसे पूरा करने में लहू सुखाता था। अब हम केवल मस्ती करेगा। सबसे पहले ब्याह करेगा। इसलिए आप लोगों का दायित्व है कि एक सुटेबल कन्या से मेरा ब्याह कराइये, फिर मेरी चाल देखिए। विवाह के पहले कुछ नहीं करने का। कुछ नहीं सोचने का।”
आज स्वाधीनता दिवस
बुधवार को मटुकनाथ ने आने पोस्ट में आगे लिखा, ”आज मेरा रिटायरमेंट डे है । वास्तव में यह मेरा स्वाधीनता दिवस है। व्यर्थ के कार्यों से मुक्ति मिलने का आनंद मेरी रगों में दौड़ रहा है। विश्वविद्यालय के क्लास बकवास हैं। विद्यार्थियों की प्रतिभा कुंद करने के सिवा वहां कोई रचनात्मक काम संभव नहीं।”
आत्म-सुख मेरी प्राथमिकता
मटुकनाथ फरमाते हैं कि इस हिंसात्मक शिक्षा में जुटे रहने की बाध्यता से मुक्ति मिल रही है। अब जिस दिशा में कदम रखूंगा, वह वास्तविक शिक्षा होगी। किंतु, कोई योजना बनाकर उसे पूरा करने के तनाव में नहीं पड़ूंगा। मन की तरंग पर सवार होकर उड़ूंगा। अस्तित्व जो करवाना चाहेगा, उसी की इच्छा में अपनी इच्छा को लय करूंगा। उन्होंने आगे लिखा है कि आत्म-सुख उनकी प्राथमिकता होगी। कहते हैं, ”मेरी समझ है कि केवल सुखी व्यक्ति दूसरों को सुख पहुंचाने में सहायक हो सकता है। समाज, देश और दुनिया को बदलने का नारा विशुद्ध धोखा है।”
गौरतलब है, पटना विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफ़ेसर रहे मटुकनाथ उस वक्त सुर्खियों में आ गए थे जब उन्होंने अपनी शिष्या जूली के साथ प्रेम किया था और इसका खुलेआम ऐलान भी किया था। जूली से प्रेम करने की वजह से मटुकनाथ की पत्नी ने पटना की सड़कों पर उनकी पिटाई की थी।
एक दशक पहले चर्चा में आए थे मटुकनाथ, जूली के प्यार ने बना दिया था लवगुरू

गौरतलब है, पटना विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफ़ेसर रहे मटुकनाथ उस वक्त सुर्खियों में आ गए थे जब उन्होंने अपनी शिष्या जूली के साथ प्रेम किया था और इसका खुलेआम ऐलान भी किया था। पटना विश्वविद्यालय के बीएन कॉलेज में हिंदी विभाग के प्रोफेसर मटुकनाथ चौधरी ने अपनी 21 साल की शिष्या जूली को अपना प्यार बताते हुए उसके साथ ही जीवन बिताने का फैसला किया था। इसके बाद उनकी पत्नी ने सरेआम दोनों की जमकर बेइज्जती की थी और ये खबर मीडिया की सुर्खियां बनीं थीं। जूली के लिए मटुकनाथ ने समाज की परवाह किए बिना अपनी पत्नी को भी छोड़ दिया था।
प्यार की खातिर लगाया था कोर्ट का भी चक्कर

पति की इस प्रेम कहानी से परेशान मटुकनाथ की पत्नी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अलग रहने की अपील की। हाईकोर्ट से होते हुआ मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया। कोर्ट ने आखिरकार मटुकनाथ के खिलाफ फैसला सुनाया। कोर्ट ने मटुकनाथ को आदेश दिया कि वे अपनी पहली पत्नी को अपने वेतन से एक तिहाई हिस्सा गुजर-बसर के लिए देंगे। जब वे सेवानिवृत्त हो जाएंगे तब भी उन्हें पत्नी को यह भत्ता देना होगा।
अकेले रह गए हैं मटुकनाथ
उनके साथ लिव-इन में रह रही प्रेमिका जूली भी उन्हें छोड़कर दूर चली गई है। लेकिन मटुकनाथ का कहना है कि जूली उनसे दूर नहीं गई उनके दिल में ही रहती है।
बीएचयू और जेएनयू जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों पढ़ी मटुकनाथ की जूली को उनके साथ रहते हुए करीब चार साल पहले अध्यात्म पसंद आ गया। इसके बाद उसने पुड्डुचेरी, ऋषिकेश, पुणे के ओशो आश्रम में समय बिताना शुरू कर दिया।
मटुकनाथ कहते हैं, ”जब-जब वह पटना आती थी तो कुछ दिनों के लिए मेरे साथ रहती थी। फिर हमने तय किया कि वह फुलटाइम अध्यात्म की शरण में रहेगी। मटुकनाथ ने बताया कि वह शांति की खोज के लिए जूली को मुक्त करना चाहते थे।