यूपी: एडाॅप्ट ए हेरिटेज पाॅलिसी अपनी धरोहरअपनी पहचान अनुमोदित


मंत्रिपरिषद ने भारत सरकार द्वारा स्वीकृत एडाॅप्ट ए हेरिटेज पाॅलिसी ‘अपनी धरोहर, अपनी पहचान’ की भांति प्रदेश के लिए तैयार की गयी उत्तर प्रदेश एडाॅप्ट ए हेरिटेज पाॅलिसी ‘अपनी धरोहर, अपनी पहचान’ को अनुमोदित कर दिया है।

नीति के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व निदेशालय (संस्कृति विभाग) द्वारा संरक्षित स्मारकों/पुरास्थलों का स्थलीय विकास, रखरखाव एवं जन सुविधाओं का प्रबन्धन सार्वजनिक उद्यम इकाइयों व निजी क्षेत्र की सहभागिता से किया जाएगा। नीति के तहत संरक्षित स्मारकों/पुरास्थलों को विकसित करने के लिए निजी क्षेत्र के उद्यमियों को स्मारक मित्र बनाया जाना प्रस्तावित है। चयनित स्मारक मित्रांे द्वारा स्वयं के संसाधनों से स्मारकों का स्थलीय विकास, पर्यटकों के लिए स्मारक परिसर में जनसुविधा प्रबन्धन एवं वार्षिक रखरखाव आदि की व्यवस्था की जाएगी।

एडाॅप्ट ए हेरिटेज पाॅलिसी के अन्तर्गत चयनित स्मारक मित्र, उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व निदेशालय (संस्कृति विभाग), पर्यटन विभाग एवं सम्बन्धित जिले के जिलाधिकारी के मध्य एम0ओ0यू0 किया जाएगा, जिसकी अधिकतम अवधि 05 वर्ष के लिए होगी। प्रस्तावित कार्य संस्कृति विभाग (उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व निदेशालय) एवं पर्यटन विभाग द्वारा सम्बन्धित जनपद के जिलाधिकारी के माध्यम से पारस्परिक सहयोग से किया जाएगा। योजना के क्रियान्वयन हेतु संस्कृति विभाग एवं पर्यटन विभाग की एक संयुक्त समिति बनायी जाएगी। संयुक्त समिति द्वारा निर्धारित कार्ययोजना के अनुसार कार्य किया जाएगा।
मंत्रिपरिषद द्वारा नीति के अन्तर्गत प्रथम चरण में पुरातत्व निदेशालय (संस्कृति विभाग) द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व विभाग के 11 प्रमुख स्मारकों/स्थलों का चयन स्मारक मित्र बनाये जाने के लिए किये जाने के प्रस्ताव को भी अनुमति प्रदान कर दी गयी है। चयनित स्मारकों में छतरमंजिल एवं फरहत बख्श कोठी कैसरबाग लखनऊ, कोठी गुलिस्ताने इरम कैसरबाग लखनऊ, दर्शन विलास कोठी कैसरबाग लखनऊ, हुलासखेड़ा उत्खनन स्थल मोहनलालगंज लखनऊ, कुसुमवन सरोवर गोवर्धन मथुरा, गोवर्धन की छतरियां गोवर्धन मथुरा, रसखान समाधि गोकुल मथुरा, गुरुधाम मन्दिर वाराणसी, कर्दमेश्वर महादेव मन्दिर कंदवा वाराणसी, चुनार किला मीरजापुर एवं प्राचीन दुर्ग बरुआसागर झांसी सम्मिलित हैं। इसके उपरान्त उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व निदेशालय (संस्कृति विभाग) द्वारा चयनित अन्य स्मारकों एवं धरोहरों को विकसित करने हेतु आवश्यकतानुसार स्मारक मित्र बनाये जाएंगे।

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