भोपाल। भाजपा द्वारा गुरुवार को अपनी तीसरी सूची जारी की गई है, जिसमें 32 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की गई है। इस बार भाजपा ने लगातार दस बार विधायक रहे बाबूलाल गौर की जगह उनकी बहू को टिकट दिया है। वहीं, वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय और कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू को टिकट नहीं देकर उनके बेटों को उम्मीदवार बनाया है।
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की पुत्रवधु श्रीमती कृष्णा गौर
बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर तथा पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने इस बार चुनाव लडऩे की इच्छा जताई थी, लेकिन भाजपा ने दोनों नेताओं को दरकिनार कर उनके परिजनों को टिकट दे दिया। वहीं, उज्जैन से पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू तीन दिन पहले ही चुनाव लडऩे की उम्मीद से कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे। उन्हें भी पार्टी ने चुनाव लडऩे से वंचित करते हुए उनके बेटे को टिकट दे दिया।
भोपाल की गोविन्दपुरा सीट से बाबूलाल गौर दस बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन भाजपा ने गुरुवार को जारी अपनी सूची में यहां से उनकी बहू और भोपाल की पूर्व महापौर कृष्णा गौर को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं, कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय को इंदौर-3 से टिकट दे दिया है। इसके बाद कैलाश विजयवर्गीय के चुनाव लडऩे की उम्मीद पर पानी फिर गया है।
इसी प्रकार, उज्जैन से कांग्रेस के पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू चुनाव लडऩे की उम्मीद लेकर भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन भाजपा ने घट्टिया से उनके बेटे अजीत बोरासी को टिकट देकर उनकी चुनाव लडऩे की संभावनाओं का अंत कर दिया। परिवारवाद को लेकर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करने वाली भाजपा ने इस बार टिकटों के घमासान को देखते हुए स्वयं परिवारवाद को बढ़ावा दिया है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि नेता-पुत्र भाजपा की नैया पार लगा पाएंगे या नहीं।
वहीं, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इंदौर की एक सीट से अपने बेटे मंदार महाजन के लिए पार्टी से टिकट की मांग की थी, लेकिन भाजपा की तीसरी सूची जारी होने के बाद उन्हें भी निराशा हुई होगी, क्योंकि इस सूची में इंदौर जिले के सभी प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं, जिनमें मंदार महाजन का नाम नहीं है। हालांकि, सुमित्रा महाजन पहले ही कह चुकी हैं कि टिकट वितरण से उनका कोई लेना-देना नहीं है और उन्होंने किसी का भी नाम आगे नहीं बढ़ाया है, लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उन्होंने अपने बेटे को टिकट देने की इच्छा पार्टी पदाधिकारियों के समक्ष जताई थी। भाजपा ने उनकी इच्छा को दरकिनार कर दिया।
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