अन्तिम वन निवासी तक वन अधिकार कानून का लाभ पहुंचाने का संकल्प।
मिहीपुरवा/बहराइच। जब तक सभी पात्र वन निवासियोँ को वन अधिकार कानून का लाभ नहीं मिल जाता तब तक वन अधिकार आंदोलन जारी रहेगा। संपूर्ण वन अधिकारों की प्राप्ति ही हमारा परम लक्ष्य है हमें इसे लेकर ही रहना है। जिन वन निवासियोँ को अधिकार प्राप्त हो गया है उनको वन संरक्षण के कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी से करना होगा। यह बात हाल ही वनग्राम से राजस्व ग्राम में परिवर्तित हुए वन ग्राम भवानीपुर में उपस्थित वन निवासियों को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिंदुस्तानी ने कही।
उन्होने कहा कि वन अधिकार पाने के बाद वन ग्राम वासियों की वन संरक्षण के प्रति पहले से अधिक महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए क्योंकि अधिकार से ज्यादा महत्वपूर्ण कर्तव्य होता है। कि अधिकारों को पाने के बाद पहले की अपेक्षा वन संपदा की सुरक्षा के लिए वन निवासियों को और भी अधिक सजग होना पड़ेगा। मात्र किसी सरकारी विभाग के सहारे वन, वन संपदा और वन्यजीव की सुरक्षा नहीं छोड़ी जा सकती।
वन अधिकार कानून 2006 में स्पष्ट रुप से वन अधिकार धारकों के कर्तव्य की व्याख्या की गई है।
उन्होने बताया कि अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासी वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम 2006 के अंतर्गत अध्याय 2 में वन अधिकार की धारा 3 झ के तहत वन अधिकार धारकों को वन संसाधन का संरक्षण, पुनर्जीवित या संरक्षित या प्रबंध करने का अधिकार जिसकी वह सतत उपयोग के लिए परंपरागत रूप से संरक्षा और संरक्षण कर रहे थे उसे दिया गया है। इसके साथ साथ इसी कानून की धारा 5 में स्पष्ट रुप से वन अधिकार के धारकों को वन, वन्यजीव, और वन संपदा का संरक्षण और वनों को विनाशकारी प्रभाव से बचाने के लिए जिम्मेदार बनाया गया है।
बैठक में वर्ष 2005 से अब तक वन ग्रामीणों के लिए काम करने वाले सरोज कुमार गुप्ता एवं समीउददीन खान व फरीद अंसारी, मो०सगीर, सुशील गुप्ता, नन्दकिशोर, रामनिवास, फूलमती, रामप्यारा देवी आदि कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर नवसृजित राजस्वग्राम भवानीपुर व बिछिया के लोग मौजूद रहे।