पूर्वोत्तर रेलवे के लोको पायलटों ने अप्रैल से नवंबर 2021 तक इंजनों का ब्रेक लगाकर 15.4 मिलियन यूनिट विद्युत तैयार कर लिया है। यह बात कुछ अटपटी सी लग रही है, लेकिन सच है। आखिर ब्रेक लगाने से बिजली कैसे बनेगी। लेकिन रेलवे की तकनीक ने ऐसा कमाल किया है।
ऐसे तैयार की बिजली
आधुनिक तकनीक के थ्री फेज इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव में रीजेनरेटिव ब्रेकिंग की व्यवस्था की गई है। इस व्यवस्था के चलते ब्रेक लगाने के दौरान उत्पन्न होने वाली गतिज ऊर्जा इलेक्ट्रिक ऊर्जा में बदल जाती है। जिसका उपयोग ट्रेन संचालन में किया जाता है। मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह के अनुसार रीजेनरेटिव ब्रेकिंग एक सामान्य ब्रेकिंग व्यवस्था है, जिसमें ट्रेन में ब्रेक लगाने के दौरान उत्पन्न होने वाली गतिज ऊर्जा (काइनेटिक एनर्जी), विद्युत ऊर्जा के रूप में परिवर्तित होकर ओवर हेड इक्वीप्मेंट (ओईएच) में पहुंचती है। इस प्रणाली में लोकोमोटिव में पहिये का ब्रेक ब्लाक के बिना लगता है। ब्लाक पहिये पर न लगने से पहिये और ब्रेक ब्लाक में कोई घिसाव नहीं होता है, इससे भी रेल राजस्व की बचत होती है।
इलेक्ट्रिक में बदलती है गतिज ऊर्जा, नवंबर तक 7.08 करोड़ रुपये के रेल राजस्व की हुई बचत
वर्तमान वित्त वर्ष 2021-22 में माह नवम्बर तक कुल 2464 मिलियन यूनिट ट्रैक्शन ऊर्जा की खपत हुई है। इस दौरान रीजेनरेटिव ब्रेकिंग से कुल 15.4 मिलियन यूनिट ऊर्जा का उत्पादन हुआ। इससे 7.08 करोड़ रुपये के रेल राजस्व की बचत हुई है। सीपीआरओ के अनुसार इस तरह की ब्रेकिंग प्रणाली केवल थ्री-फेज इलेक्ट्रिक लोको में ही उपलब्ध है। पूर्वोत्तर रेलवे पर औसतन 285 इलेक्ट्रिक लोको कार्यरत है, जिसमें 180 थ्री-फेज इलेक्ट्रिक लोको हैं।
प्रमुख मुख्य कार्मिक अधिकारी को दी गई वर्चुअल विदाई : पूर्वोत्तर रेलवे की प्रमुख मुख्य कार्मिक अधिकारी रीता पी हेमराजानी की नियुक्ति नेशनल हैण्डलूम डवलपमेंट कारपोरेशन के प्रबंधन निदेश के पद हो गई है। नए पद पर तैनाती से पहले सोमवार को मुख्यालय गोरखपुर में उन्हें वर्चुअल विदाई दी गई। महाप्रबंधक अनुपम शर्मा ने उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। इस मौके पर अपर महाप्रबंधक अमित कुमार अग्रवाल, वरिष्ठ उपमहाप्रबंधक डीके सिंह समस्त प्रमुख विभागाध्यक्ष मौजूद थे।