गोरखपुर।चुनाव आ गया और जिला प्रशासन ने सभी वैध लाइसेंस धारियों के शस्त्रों को जमा कराने का फरमान जारी कर दिया।फिर क्या था थाने की पुलिस,दारोगा सहित सभी,शहर के प्रबुद्ध,नागरिक, व्यापारी,डॉक्टर,वरिष्ठ नागरिकों को समय बेसमय फोन कर करके शस्त्र जमा करने का बेजा दबाव बनाने का कार्य प्रारंभ कर दिए हैं।गोया कि यही प्रबुद्ध नागरिक,व्यापारी,डॉक्टर,वरिष्ठ नागरिक सब चुनाव कार्य दौरान कानून व्यवस्था की स्थिति खराब करेंगे और सरकारी व्यवस्था मे अवरोध उत्पन्न करने वाले है,जबकि स्वयं प्रदेश के मुख्य मंत्री अपने संबोधन मे बता रहे है कि प्रदेश मे अस्सी बनाम बीस प्रतिशत की लड़ाई है और उधर रेडिकल,अराजक तत्व खुलेआम धमकी दे रहे है।
पुलिस प्रशासन द्वारा नगर के संभ्रांत नागरिको,व्यापारियो,डॉक्टरों के लाइसेंसी शस्त्रों को जबरन जमा करके उन्हे शस्त्रविहिन करने का कार्य कर रही है।जबकि माननीय उच्च न्यायालय और चुनाव आयोग की स्पष्ट मंशा यह है कि अवैध शस्त्र और आपराधिक प्रवृति के लोगो के उपर कड़ाई की जाए जिनसे चुनाव कार्य दौरान कानून व्यवस्था प्रभावित होना सम्भव हो,उनके शस्त्र जमा कराए जाए,इसका रिव्यू जिला प्रशासन करे,रिव्यू का अर्थ है कि नीर क्षीर विवेक का प्रयोग करके अवांछनीय, आपराधिक प्रवृत्ति के लोगो का वर्गीकरण करना।लेकिन अफसोस का विषय यह है कि संभ्रांत नागरिको जिसमे व्यापारी,डॉक्टर,वरिष्ठ नागरिक सम्मिलित हैं,के शस्त्रो को जमा करने का पुलिस प्रशासन बेजा दबाव बना रहा है।पुलिस एक ही डंडे से संभ्रांत और अवांछनीय तत्वों को हाॅक रहा है.
इस ठंडक के समय नगर मे चोरियो भी खूब हो रही है और व्यापारी वर्ग को अपने प्रतिष्ठानो,घर-परिवार की सुरक्षा और बैंक मे कैश डिपॉजिट की सुरक्षा के लिए शस्त्र आवश्यक है।जग जाहिर है कि घटना घटित होने के उपरांत ही पुलिस का आगमन होता है यदि प्रबुद्ध नागरिक,डॉक्टर और व्यापारी वर्ग अवांछनीय या आपराधिक प्रवृत्ति के है तो पुलिस प्रशासन को ऐसे लोगो के शस्त्र लाइसेंसों को निरस्त करने की संस्तुति करके शस्त्र लाइसेंस निरस्त कराने का कार्य प्रारंभ कर देना चाहिए। जबकि ऐसा कई बार देखा गया है कि दंगा-फसाद मे जब पुलिस वाले फंस गए है तो यही संभ्रांत नागरिक और व्यापारियो ने पुलिस की मदद भी की है।