गोपाल त्रिपाठी
गोरखपुर। चावल की रिकवरी 67 फीसदी से घटा कर 62 फीसदी करने और कुटाई की दर 150 रुपया प्रति कुंतल करने की मांग पर राइस मिलर के आंदोलन ने जिला प्रशासन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। शासन की सख्ती के बाद भी मिलर अपनी मांग के समर्थन में आंदोलित है। ऐसे में आंदोलन जल्द वापस नहीं हुआ तो क्रय केंद्रों में स्टोर की क्षमता कम होने से धान खरीद प्रभावित रफ्तार थम सकती है। उधर जिलाधिकारी का कहना है कि जनहित के इस काम में राइस मिल संचालकों ने सहयोग नहीं किया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जिले के कुल 38 राइस मिलर केंद्रों से संबद्ध किए गए थे। इनमें से 15 ने अनुबंध करा लिया था। अब तक 11 राइस मिल संचालकों पर कार्रवाई की जा सकी है। 14 करोड़ के बकाये में जहां 8 मिल संचालकों के खिलाफ आरसी जारी की गई है, दूसरी ओर मंगलवार को अधिकारियों ने तीन राइस मिल सील कर दिया। एडीएम फाइनेंस विधान जायसवाल कहते हैं कि मिलरों को सहयोग करना चाहिए। अन्यथा नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।
शुरुआत से ही प्रभावित हो गई धान खरीद
एक नवंबर से जनपद में धान की खरीद शुरू हुई। शुरूआत के साथ ही पहले आरएफसी के विपणन निरीक्षण उसके बाद पीसीएफ के क्रय केंद्र प्रभारी हड़ताल पर चले गए। इस कारण 13 दिनों तक खरीद प्रभावित रही।14 नवंबर से खरीद की शुरूआत हुई लेकिन मिलर्स एसोसिएशन के आह्वान पर मिलर हड़ताल पर चले गए। वे चावल की रिकवरी 67 से घटा कर 62 फीसदी और कुटाई 150 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग कर रहे हैं। उनके अनुबंध न होने की वजह से ज्यादातर क्रय केंद्रों से धान नहीं उठाए जा रहे। ऐसे में क्रय केंद्रों पर जगह की कमी की वजह से धान खरीद प्रभावित हो सकती है। मिलर्स सहयोग करते हैं तो उनके साथ उदारता दिखाई जाएगी।