जंगे आजादी की लडाई मे हर्रैया के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता

शपथ लेते कर्मचारी


हरैया /बस्ती।देश जंगे आजादी की लड़ाई हरैया तहसील के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। आज भी उनके द्वारा हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर चढ़ने की कहानियां  क्षेत्रीय लोगों के मुंह से बड़े गर्व के साथ सुनी जाती हैं ।मेरठ के छावनी से निकली  जंगे आजादी की चिंगारी हरैया क्षेत्र में पहुंची तो  यहां के नौजवान ,किसान सभी के अन्दर   देश को आजाद कराने का जज्बा जाग  गया आलम यह था कि लोगों ने अंग्रेजो के खिलाफ बिगुल बजा दिया अंग्रेजों ने भी उन पर जमकर जुल्म ढाए  कितने आजादी के मतवालो को   जेल के सीखचों के पीछे डाल दिया ,और अनेकों लोगों को फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया, आज भी छावनी थाने के सामने खड़ा हुआ पीपल का वृक्ष आजादी के मतवालों के ऊपर  गोरी सरकार द्वारा ढाए  गए जुल्म को बयां कर रहा है ।चाहे ठाकुर सुग्रीव सिंह ,या वेलाडे  शुक्ल के ईश्वरी प्रसाद शुक्ल हो रामगढ़ खास निवासी ठाकुर धर्मराज सिंह,जय सिह, सरदार मुहेम सिंह इस तरह से लगभग डेढ़ सौ लोगों को फांसी के फंदे पर अंग्रेजों ने क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए लटका दिया गया था। हालांकि प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त और 26 जनवरी 2 अक्टूबर को शहीदों की यादगार मेला लगता है शहीदों की शहादत को लोग नमन करते हैं । 

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