
-धीरज नगर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा का छठवां दिन
भास्कर न्यूज
बांदा। धीरज नगर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में छठवें दिन कथा व्यास पं.विनोद शुक्ल वैदिक ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया। कहा कि परमात्मा सिर्फ भक्तों के प्रेम का भूखा है। जो तीनों लोकों का स्वामी है वह प्रेमवश बचपन में गोपियों के यहां से माखन चुराकर खाता है। जिसने अपनी माया से संपूर्ण सृष्टि को बांधकर रखा है, वह माता यशोदा के हाथों चार अंगुल की रस्सी में बंध जाता है।

कथा व्यास ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का अवतार सिर्फ कंस जैसे आतताइयों से मथुरावासियों को मुक्त कराने को नहीं हुआ था। उनके जीवन का हेतु धरती पर आदर्श स्थापित करना था। इसलिये उन्होंने बचपन से लेकर अपने संपूर्ण जीवन में जो भी लीलाएं की। उन सभी से हमें कुछ न कुछ सीख अवश्य मिलती है। भगवान के जीवन में क्या खूबियां हैं, इसे देखने के लिये सिर्फ वाह्य दृष्टि पर्याप्त नहीं है। परमात्मा को जानने के लिये अंतरदृष्टि चाहिये, जो सुदामा के पास थी। जो सूरदास और मीराबाई व कर्माबाई के पास थी। सूरदास ने तो आंखें न होते हुए भी उनका साक्षात दर्शन किया। परमात्मा विषय रस भोग से दूर रहता है। यह समझने की जरूरत है। गोपियों ने जो प्रेम भगवान श्रीकृष्ण से किया वह अंतरमुखी था। यहां यह भी जानने की जरूरत है कि गोपियां आखिर थीं कौन। गोपियां स्व्यं देवता थे, जो भगवान का दर्शन करने को यहां गोपियों के रूप में आये थे। वे उद्धव के माध्यम से भी प्रेम का ही संदेश देते हैं। इसके साथ ही श्रीकृष्ण और रुक्मिणी का विवाह का विवाह संपन्न हुआ। श्रद्धालुओं में उनके पैर पूजने की होड़ लगी रही। कथा में परीक्षित सावित्री व चंद्रभूषण पांडेय समेत पूर्व चेयरमैन राजकुमार राज, योग गुरू प्रकाश साहू, व्यापारी नेता मनोज जैन, ओम प्रकाश गुप्त, बृजभूषण पांडेय, महावीर पांडेय, आचार्य मनोज शुक्ल, शैलेंद्र शुक्ल, अंकित त्रिवेदी आदि शामिल रहे।