
नई दिल्ली, । दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल व जम्मू कश्मीर पुलिस की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की संयुक्त टीम के हत्थे चढ़े आतंकियों ने पूछताछ में यह खुलासा किया है कि राजधानी को दहलाने के लिए इनका संगठन हथियार जमा कर रहा था। इसके अलावा पुलिस के हत्थे चढ़ा आतंकी व जामिया का छात्र जम्मू कश्मीर के वाथूरा बुदगाम निवासी हैरिस मुश्ताक खान कुछ इलाकों की रेकी करने के लिए आया भी था। चूंकि वह जामिया का छात्र था, इसलिए उसे दिल्ली की भौगोलिक स्थिति के बारे में अच्छी जानकारी थी।
इस कारण दिल्ली में तबाही मचाने के लिए संगठन प्रमुख आदिल ठोकर ने उसके जरिये ही दिल्ली से जुड़ी जानकारी जुटा रहा था। इतना ही नहीं उसने कुछ संदिग्धों दिल्ली भेजा भी था, जिसके बारे में स्पेशल सेल जानकारी जुटा रही है। जम्मू कश्मीर पुलिस ने पूरे नेटवर्क को खंगालने के लिए छह अन्य संदिग्धों को हिरासत में भी ले रखा है और उनसे पूछताछ की जा रही है। माना जा रहा है कि इस नेटवर्क से जुड़े दिल्ली और पश्चिमी यूपी के जुड़े कुछ और गुर्गों का नाम अगले कुछ दिनों में सामने आ सकता है। संगठन में चल रही है ऑनलाइन भर्ती स्पेशल सेल के मुताबिक आईएसआईएस इस वक्त ऑनलाइन भर्ती कर रहा था।
भर्ती के लिए खासतौर से उन नौजवानों पर उसकी नजर है, जो मूलरूप से जम्मू-कश्मीर के हैं और वे दिल्ली व पश्चिमी यूपी के किसी न किसी संस्थान से जुड़कर पढ़ाई कर रहे हैं। संगठन ने अपने इस अभियान के जरिये ही जहां दिल्ली के जामिया मिलिया के पीजी छात्र कश्मीरी मूल के हैरिस मुश्ताक खान को आतंक की दुनिया में पिछले साल ही शामिल कर लिया था जबकि ग्रेटर नोएडा के शारदा यूनिवर्सिटी के कश्मीरी मूल के छात्र को एहतिशाम विलाल को इस साल शामिल कर लिया था। स्पेशल सेल की मानें तो इनकी भर्ती के साथ ही यूनिट के लोगों की नजर करीब दर्जन भर अन्य लोगों पर भी थी।
डीसीपी प्रमोद कुशवाहा ने बताया
भर्ती के लिए कैसे करते थे टारगेट स्पेशल सेल के डीसीपी प्रमोद कुशवाहा ने बताया कि आईएसआईएस की भर्ती यूनिट के लोग ये सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर खासतौर पर कश्मीरी मूल के तमाम छात्रों से दोस्ती कर यह देखते थे कि कौन कौन से लोगों में दहशतगर्दों को लेकर सहानुभूति है। इसके बाद उनसे नजदीकी बढ़ाई जाती थी और फिर उन्हें आतंकियों के प्रति सहानु़भूति पैदा करने वाले साहित्य, वीडियो और ऑडियो भेजे जाते थे। फिर उनके अंदर सुरक्षाबलों के बीच दहशत फैलाने की आग पैदा कर उन्हें अपने संगठन से जोड़ लिया जाता था। अवलाकी और अब्दुल्ला की किताबें भेजते थे डीसीपी प्रमोद कुशवाहा ने यह खुलासा किया कि ऑनलाइन भर्ती के दौरान जिस किसी से भी नजदीकी बढ़ती थी, उसे आईएसआईएस की तरफ से अनवर अल अवलाकी और अब्दुल्ला आजम से जुड़ी किताबें और अन्य सामग्री भेजी जाती थी। खिलाफत के नाम पर नौजवानों को उकसाया जाता था और इस्लाम खतरे में है और आईएसआईएस उसे बचाने में लगा हुआ है। इसलिए उससे जुड़ने को कहा जाता था। जैसे ही किसी ऐसे नौजवान का ब्रेनबॉश हो जाता था, उसे जम्मू कश्मीर में आदिल ठोकर के पास भेज दिया जाता था।
आईएसआईएस का कौन है
आदिल ठोकर स्पेशल सेल के मुताबिक आदिल ठोकर नाम का यह शख्स जम्मू-कश्मीर में आईएसआईएस का प्रमुख है। वह आईएसआईएस से जुड़ने वाले नौजवानों को पनाह देता था और उनके खाने-पीने का प्रबंध करते हुए उन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग दिलवाता है और खासतौर पर जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों पर हमला कराता था। इसके अलावा उनके निशाने पर इस वक्त दिल्ली-एनसीआर और पश्चिमी यूपी के भी कई हिस्से हैं, जहां वह बड़े पैमाने पर तबाही फैलाना चाहता है। आदिल को मिलता है पाकिस्तान से निर्देश स्पेशल सेल के मुताबिक पाकिस्तान में बैठा आईएसआईएस का एक शख्स आदिल को निर्देश देता है। यह खुलासा पकड़े गए आतंकियों ने पूछताछ के दौरान किया।
हालांकि आईएसआईएस मॉड्यूल के इन आतंकियों की उससे मुलाकात नहीं हुई है। इनका कहना है कि आदिल पाकिस्तान जाते हैं या फिर चैट अप्लीकेशन पर सीमापार में बैठे अपने आका से जुड़े हैं। ‘थेरेमा’ व ‘ट्रिलियन’ चैट अप्लीकेशन पर जुड़े हैं डीसीपी के मुताबिक आईएसआईएस के इस मॉड्यूल के आतंकी आपस में सूचनाओं का आदान-प्रदान करने के लिए मुख्य रूप से ‘थेरेमा’ और ‘ट्रिलियन’ अप्लीकेशन का इस्तेमाल करते हैं। इस कारण सुरक्षाकर्मियों को इनकी भनक तक नहीं लगती है। क्या है ‘ट्रिलियन’ चैट एप्लीकेशन ‘ट्रिलियन’ मल्टी प्रोटोकॉल इंटरनेट मैसेजिंग एप्लीकेशन है। यह आईएसआईएस ही नहीं अन्य दूसरे आतंकी संगठनों के बीच बातचीत का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण व बड़ा चैट एप्लीकेशन है। इसका इस्तेमाल पहली बार सीरिया में भारतीय नौजवानों को जोड़ने में जुटी आईएसआईएस की एक यूनिट द्वारा करने की जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को मिली थी।
दिल्ली के जसोला में रहकर जामिया में की हारिस ने पढ़ाई मूलत: वथुरा, बडगाम, जम्मू एवं कश्मीर का रहने वाला हारिस मुशताक खान उर्फ अबु बकर ने स्कूल की पढ़ाई करन नगर, श्रीनगर से की थी। 2013 में उसने दिल्ली के जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में ग्रेजुएशन में दाखिला ले लिया। यहां 2013 से 2015 के बीच उसने ग्रेजुएशन किया। बाद में उसने एमए इंटरनेशनल स्ट्डीज में दाखिला लिया लेकिन 2017 में वह बीच में पढ़ाई छोड़कर गायब हो गया। परिवार ने उसकी तलाश कर जम्मू व कश्मीर में उसकी गुमशुदगी भी करा दी। बाद में परिवार को उसके आईएस का आतंकी बनने का पता चला। छानबीन के दौरान पता चला कि हारिस सोशल मीडिया के जरिये आतंक के रास्ते पर पहुंचा। सितम्बर 2018 में आतंकी बना ताहिर अली खान उर्फ मुसैब चंद्रीगाम, तराल निवासी ताहिर अली खान उर्फ मुसैब ने अपनी शुरूआती शिक्षा त्राल से प्राप्त की। इसके बाद उसने गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज में दाखिला लिया लेकिन फेल होने पर उसने पढ़ाई छोड़ दी।
इसके बाद आसिफ नजीर दार उर्फ उमर इब्न नजीर (जो अब मुठभेड़ में मारा जा चुका है) उसने ही ताहिर को आईएस से प्रभावित आतंकी संगठन में भर्ती कराया। बाद में आसिफ ने उसे कुछ ग्रेनेड और एक पिस्टल दी। ताहिर ने सितम्बर में अपना घर छोड़कर आतंकी संगठन का हाथ थाम लिया। पत्थरबाजी में गिरफ्तार हो चुका है आसिफ सुहैल नदफ रैनावाड़ी, जम्मू एवं कश्मीर निवासी आसिफ सुहैल नदफ उर्फ करीम 10वीं कक्षा पास है। 2013 के बाद इसकी आसिफ नजीर दार उर्फ उमर इब्न नजीर से हुई। उसने आसिफ सुहैल से एसआई के आतंकियों के लिए रहने और खाने-पीने की व्यवस्था कराने का काम सौंपा। सुहैल आईएस की विचारधारा से प्रभावित लोगों की व्यवस्था करता था। 2016 में सुहैल रैनावाड़ी में पत्थरबाजी के आरोप में गिरफ्तार भी हुआ था।
सुहैल आतंकियों के संचार की भी व्यवस्था करता था। कोडवर्ड में रखते हैं नाम, उसी से पुकारे जाते हैं आतंकी स्पेशल सेल के पुलिस उपायुक्त प्रमोद कुशवाहा ने बताया कि पकड़े गए संगठन के लोग कोडवर्ड में अपने नाम रखते हैं। आतंक की दुनिया में इनको दिए गए नामों से ही पुकारा व जाना जाता है। हारिस को अबु बकर, ताहिर को मुसैब और आसिफ सुहैल को करीम के नाम से जाना जाता है। कश्मीर के लोकल लोगों को भी इनके कोडवर्ड के नामों का पता नहीं होता। आम लोग इनको इनके असली नामों से ही जानते हैं।
संचार के दौरान आरोपित अपने कोडवर्ड के नामों से पहचाने नहीं जाते हैं। जम्मू कश्मीर में इन हमलों में रहे आतंकी शामिल पकड़े गए तीनों आतंकी हारिस, ताहिर और आसिफ सुहैल कश्मीर में हुए कई हमलों में शामिल रहे हैं। 31 जुलाई, 2018 को इन लोगों ने अनंतनाग के सदर इलाके में सीआरपीएफ जवानों पर ग्रेनेड से हमला कर दिया था। इस हमले में तीन जवान जख्मी हो गए थे। नवम्बर 2017 के आखिरी सप्ताह में इन लोगों की पुलिस से मुठभेड़ हुई थी। इसमें पुलिस का एक एसआई इमरान टांक को इन लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। तीसरे हमले में नौ सितम्बर, 2018 में इन लोगों ने कश्मीर में एक नागरिक की इसलिए हत्या कर दी थी कि इन लोगों को लगता था कि शायद नागरिक पुलिस का मुखबिर है।
ऑनलाइन भर्ती चल रही : स्पेशल सेल के मुताबिक आईएसआईएस इस वक्त ऑनलाइन भर्ती कर रहा था। भर्ती के लिए खासतौर से उन नौजवानों पर उसकी नजर है जो मूलरूप से जम्मू-कश्मीर हैं और वे दिल्ली और पश्चिमी यूपी के किसी न किसी संस्थान जुड़कर पढ़ाई कर रहे हैं। संगठन ने अपने इस अभियान के जरिऐ ही जामिया मिलिया के पीजी छात्र कश्मीरी मूल के हैरिस और ग्रेटर नोएडा के शारदा यूनिवर्सिटी के कश्मीरी मूल के छात्र एहतेशाम विलाल को इस साल संगठन में शामिल कर लिया था। स्पेशल सेल की मानें इनकी भर्ती यूनिट के लोगों की नजर करीब दर्जन भर अन्य लोग भी थी।
ऐसे करते थे छात्रों को टारगेट: स्पेशल सेल के डीसीपी ने बताया कि आईएसआईएस की भर्ती यूनिट के लोग ये सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर खासतौर पर कश्मीरी मूल के छात्रों से दोस्ती कर यह देखते थे कि किनमें में दहशतगर्दों को लेकर सहानुभूति है। इसके बाद उनसे नजदीकी बढ़ाई जाती थी और फिर उन्हें आतंकियों के प्रति सहानु़भूति पैदा करने वाले साहित्य, वीडियो और ऑडियो भेजे जाते थे। फिर उनके अंदर सुरक्षाबलों के बीच दहशत फैलाने की आग पैदा कर उन्हें संगठन से जोड़ लिया जाता था।
हैरिस मुश्ताक खान
हैरिस मूल रूप से जम्मू कश्मीर के शाहपोरा वाथूरा के बुदगाम का रहने वाला है। वर्ष 1994 में जन्म लेने वाले हैरिस ने श्रीनगर के करन नगर सीनियर सेकेंड्री स्कूल से पढ़ाई की थी। इसके बाद वह दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया आ गया। यहां से ग्रेजुएशन करने के बाद इंटरनेशनल स्टडीज में पीजी में दाखिल लिया था। हालांकि, उसने पढ़ाई छोड़ दी और आईएसआईएस ज्वाइन कर लिया।
(सांकेतिक नाम: अबु बकर)
आसिफ सुहैल नदाफ
आसिफ सुहैल नदाफ जम्मू-कश्मीर के रेनावारी इलाके का रहने वाला है। वर्ष 1996 में जन्म लेने वाले आसिफ वहीं के मुस्लिम स्टेडर्ड स्कूल से पढ़ाई की। हालांकि, 10 वीं तक पढ़ाई करने के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी और एक गारमेंट्स शॉप में काम करने लगा। आसिफ भी आसिफ नाजिर डार के जरिए ही आईएसआईएस में जुड़ा था।
(सांकेतित नाम: करीम)
ताहिर अली खान
ताहिर अली खान जम्मू कश्मीर के ट्राल इलाके के चंद्रीग्राम का निवासी है। वर्ष 1995 में जन्म लेने वाले ताहिर ने सरकारी मीडिल स्कूल चंदेरगाम से पढ़ाई की। इसके बाद हायर सेकेंड्री स्कूल नोपोरा, ट्राल से उसने इंटर 12वीं की पढ़ाई की। इसके बाद उसने आगे की पढ़ाई के लिए भी दाखिला लिया, लेकिन बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। वह आसिफ नाजिर डार के जरिए आईएसआईएस में शामिल हो गया।
(सांकेतिक नाम: मुसैब)
आदिल ठोकर आईएसआईएस का प्रमुख
स्पेशल सेल के मुताबिक, आदिल ठोकर जम्मू-कश्मीर में आईएसआईएस का प्रमुख है। वह आईएसआईएस से जुड़ने वाले नौजवानों को पनाह देता है और उनके खाने-पीने का प्रबंध करते हुए उन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग दिलवाता है। पाकिस्तान में बैठा आईएसआईएस का एक शख्स आदिल को निर्देश देता है। यह खुलासा पकड़े गए आतंकियों ने किया है। उनके निशाने पर इस वक्त दिल्ली-एनसीआर व पश्चिमी यूपी के कई हिस्से हैं, जहां वह बड़े पैमाने पर तबाही फैलाना चाहता है।
‘थेरेमा’ व ‘ट्रिलियन’ चैट एप पर जुड़े
डीसीपी के मुताबिक, आईएसआईएस के इस मॉड्यूल के आतंकी आपस में सूचनाओं का आदान-प्रदान करने के लिए मुख्य रूप से ‘थेरेमा’ और ‘ट्रिलियन’ एप्लीकेशन का इस्तेमाल करते हैं। इस कारण सुरक्षाकर्मियों को इनकी भनक तक नहीं लगती है।
क्या है ‘ट्रिलियन’ चैट एप्लीकेशन
‘ट्रिलियन’ मल्टी प्रोटोकॉल इंटरनेट मैसेजिंग एप्लीकेशन है। इसका इस्तेमाल आईएसआईएस ही नहीं दूसरे आतंकी संगठन भी करते हैं। इसका इस्तेमाल पहली बार सीरिया में भारतीय युवाओं को जोड़ने में जुटी आईएसआईएस की एक यूनिट द्वारा करने की जानकारी एजेंसियों को मिली थी।















