डा. राकेश राय। यूं तो तारीख घोषित होने के काफी पहले से ही भाजपा का चुनावी अभियान शुरू हो गया था लेकिन बीते तीन दिन के दौरान शहर में जो माहौल बना है, उससे पार्टी के अभियान ने चुनावी आंदोलन सा रूप ले लिया है। कहने की जरूरत नहीं कि तीन दिन में भाजपा ने अपने अभियान को जन-जन से जोड़ दिया है। ऐसा हुआ है योगी आदित्यनाथ और गृह मंत्री अमित शाह की प्रभावी मौजूदगी से।
चुनाव में भाजपा के प्रति जनता की जिम्मेदारी तय कर गए अमित शाह व योगी
अगर यह कहा जाए कि तीन दिन में भाजपा ने बीते तीन में तीन महीने का चुनावी कार्य कर दिया है तो गलत नहीं होगा। शहर के मतदाताओं को तो दोनों नेता प्रत्याशी और मतदाता दोनों की जिम्मेदारी सौंप गए। योगी ने तो कई मंचों पर मतदाताओं से सीधे कहा कि चुनाव आपका है, प्रत्याशी भी आप हैं और मतदाता भी। उनकी यह बात लोगों के दिल तक पहुंची, जिसकी पंजाबी समाज के साथ योगी के जनसंपर्क में तत्काल पुष्टि हो गई। लोगों ने उन्हें एक स्वर से कहा कि योगी जी शहर हमारे ऊपर छोड़िए, आप प्रदेश में दौड़िए।
शाह और योगी के मार्गदर्शन को धरातल पर उतारने में जुटे भाजपा कार्यकर्ता
यह तो बानगी थी एक समाज की। दौरे के दूसरे दिन कायस्थ समाज और प्रबुद्ध् समाज के सम्मेलन में भी लोगों की कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया रही। उन्होंने भी योगी की ऐतिहासिक जीत का दावा किया। यह तो रही लोगों की बात, पार्टी की चुनावी योजनाओं को धरातल पर उतारने में जुटे पार्टी पदाधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं के लिए भी बीते तीन दिन जोश भरने वाले रहे। नगर विधायक डा. राधा मोहन दास अग्रवाल ने तो मंच से यह घोषणा कर दी कि उन्हें विधायक योगी के साथ-साथ मुख्यमंत्री योगी भी चाहिए। इसके लिए उन्हें गोरखपुर छोड़ पूरे प्रदेश में जाना होगा, गोरखपुर की जिम्मेदारी तो वह खुद संभाल लेंगे।
डोर-टू-डोर संंपर्क में एक और कड़ी जोड़ गए योगी
भाजपा ने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को जनसंपर्क के लिए चुनाव तक हर घर तक कम से कम पांच बार पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसे लेकर कार्य शुरू भी हाे गया था पर मुख्यमंत्री योगी ने अपने इस दौरे के दौरान इसमें एक कड़ी और जोड़ दी। उन्होंने पदाधिकारियों की बैठक में उन्हें पांच की जगह छह बार जाने की सलाह दी। पांच बार भाजपा के पत्रक के साथ जनसंपर्क के लिए और छठी बार मतदाता पर्ची के साथ ताकि पार्टी के पक्ष में मतदान सुनिश्चित हो सके।
और दूर हो गई टिकट कटने वालों की नाराजगी
टिकट की घोषणा के बाद जिन विधायकों के टिकट कटे थे, उनकी नाराजगी भी बीते तीन दिन में दूर होती दिखी। जो डा. राधा मोहन दास अग्रवाल बीते एक पखवारे से चुप्पी साधे बैठे थे, उन्होंने मंच से योगी के चुनाव की जिम्मेदारी अपने हाथों में ले ली। योगी के नामांकन से पहले हुए कार्यकर्ता सम्मेलन के मंच पर खजनी के विधायक संत प्रसाद भी नजर आए, जो टिकट कटने के बाद तरह-तरह बयान दे रहे थे। शीतल पांडेय तो अपने नाम के अनुरूप शीतल दिखे। इसे लोग अमित शाह और योगी की उपलब्धि मान रहे हैं।