हिजाब पर बैन लगाने के बाद छिड़ा विवाद, महिलाओं ने बुर्का पहनकर खेला फुटबॉल 

मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के हिजाब पर बैन लगाने का बयान देने के बाद विवाद छिड़ गया है। उनके बयान का बुधवार को अनूठा विरोध देखने को मिला। मुस्लिम लड़कियों ने हिजाब और बुर्का पहनकर फुटबॉल और क्रिकेट मैच खेलकर विरोध जताया। उनका खेल देखने बड़ी संख्या में लोग पहुंचे, जो उन्हें प्रोत्साहित करते रहे।

लड़कियों ने कहा कि हिजाब और नकाब में हम कंफर्टेबल हैं। हिजाब हमारा राइट है, आइडेंटिटी है। फिर लोगों को इससे दिक्कत क्यों हो रही है? मैच में कमेंट्री के दौरान कर्नाटक में हिजाब पर चल रहे विवाद की भी जानकारी दी गई। ये मैच भोपाल में कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के इंदिरा प्रियदर्शिनी कॉलेज में खेला गया।

क्या कहा था शिक्षा मंत्री ने
स्कूल शिक्षा मंत्री परमार ने मंगलवार को कहा था कि अगर कोई हिजाब पहनकर स्कूल में आता है, तो उस पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। मध्यप्रदेश में स्कूल यूनिफॉर्म कोड के अनुसार ही बच्चों को आना होगा। हम स्कूल यूनिफॉर्म कोड को लेकर काम कर रहे हैं। अगले सेशन से पहले यूनिफॉर्म कोड पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा।

परमार के बयान पर गृहमंत्री को देनी पड़ी सफाई
परमार के बयान के बाद छिड़े विवाद में राज्य सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने साफ कर दिया कि मध्य प्रदेश सरकार के पास हिजाब पर बैन लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। प्रदेश में इस पर कोई विवाद नहीं है। सूत्रों की मानें तो इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नाराजगी जाहिर की थी। इसके बाद परमार को भी यूटर्न लेते हुए नया बयान जारी करना पड़ा है।

इंदर सिंह परमार ने बुधवार को कहा कि स्कूल में यूनिफॉर्म को लेकर उन्होंने जो बयान दिया था, वो स्कूलों में समानता, अनुशासन और पहचान के संदर्भ में था। कुछ लोगों ने मेरी कही बात का गलत अर्थ निकाल कर दूसरे संदर्भ में पूरे देश के सामने रखा। फिलहाल हम नया यूनिफॉर्म कोड लागू नहीं करेंगे, ना ही इस पर कोई काम हो रहा है। स्कूलों में जो व्यवस्था चल रही है, वही चलती रहेगी।

कर्नाटक में हिजाब पर चल रहा विवाद
कर्नाटक के कुंडापुरा कॉलेज की 28 मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनकर क्लास अटेंड करने से रोका गया था। मामले को लेकर छात्राओं ने हाईकोर्ट में याचिका लगाते हुए कहा था कि हिजाब इस्लाम में अनिवार्य है, इसलिए उन्हें इसकी अनुमति दी जाए। इन छात्राओं ने कॉलेज गेट के सामने बैठकर धरना देना भी शुरू कर दिया था। इसके बाद कर्नाटक के बहुत सारे कॉलेजों में यही विवाद शुरू हो गया है।

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