स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं का लाभ उठाएं-गर्भावस्था को सुरक्षित बनाएं

  • हर माह की नौ तारीख को सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत कराएं मुफ्त जांच
  • पहली बार गर्भवती होने पर सही पोषण के लिए तीन किश्तों में पाएं 5000 रुपये

बहू के गर्भवती होने की खबर पूरे परिवार को खुशियों से सराबोर कर देती है। खुशियों के इन पलों को पूरे गर्भावस्था के दौरान संजोये रखने और जच्चा-बच्चा को स्वस्थ और सुरक्षित बनाने के लिए जरूरी है कि परिवार के हर सदस्य गर्भवती की बेहतर देखभाल की समुचित जिम्मेदारी भी निभाएं। इस बारे में समुदाय में जागरूकता लाने के लिए समय-समय पर अभियान भी चलाए जाते रहते हैं। इसके तहत गर्भवती और परिवार वालों को स्वास्थ्य विभाग की उन योजनाओं के बारे में जागरूक किया जाता है जिनका लाभ उठाकर वह गर्भावस्था को सामान्य और सुरक्षित बना सकें।

मातृत्व स्वास्थ्य उत्तर प्रदेश व स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मंजरी टंडन का कहना है कि गर्भावस्था के तीसरे-चौथे महीने में प्रशिक्षित चिकित्सक से जांच अवश्य करानी चाहिए। गर्भावस्था की सही जांच-पड़ताल के लिए ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान चलाया जाता है। इसके तहत हर माह की नौ तारीख को स्वास्थ्य केन्द्रों पर विशेष आयोजन होता है। जहाँ पर एमबीबीएस चिकित्सक या स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा गर्भवती की सम्पूर्ण जांच मुफ्त की जाती है और कोई जटिलता नजर आती है तो उन महिलाओं को चिन्हित कर उन पर खास नजर रखी जाती है । इसके साथ ही गर्भवती खानपान का खास ख्याल रखें और खाने में हरी साग-सब्जी, फल आदि का ज्यादा इस्तेमाल करें, आयरन और कैल्शियम की गोलियों का सेवन चिकित्सक के बताये अनुसार करें। प्रसव का समय नजदीक आने पर सुरक्षित प्रसव के लिए पहले से ही निकटतम अस्पताल का चयन कर लेना चाहिए और मातृ-शिशु सुरक्षा कार्ड, जरूरी कपड़े और एम्बुलेंस का नम्बर-102 याद रखना चाहिए। समय का प्रबन्धन भी अहम् होता है क्योंकि एम्बुलेंस को सूचित करने में विलम्ब करने और अस्पताल पहुँचने में देरी से जोखिम बढ़ सकता है । इसके अलावा पहली बार गर्भवती होने पर सही पोषण और उचित स्वास्थ्य देखभाल के लिए प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत तीन किश्तों में 5000 रूपये दिए जाते हैं । इसके अलावा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जननी सुरक्षा योजना है, जिसके तहत सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने पर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 1400 रूपये व शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रूपये दिए जाते हैं । प्रसव के तुरंत बाद बच्चे की उचित देखभाल के लिए जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम का लाभ भी उठाया जा सकता है।

गर्भावस्था की सही देखभाल में आशा कार्यकर्ता भी अहम भूमिका निभाती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में तो अब वह ‘सेहत की आशा’ के रूप में उभरकर सामने आई हैं । गर्भ का पता चलते ही महिला का स्वास्थ्य केंद्र पर पंजीकरण कराने के साथ ही गर्भावस्था के दौरान बरती जाने वाली जरूरी सावधानियों के बारे में जागरूक करती हैं । प्रसव पूर्व जांच कराने में मदद करती हैं । संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित करतीं हैं और प्रसव के लिए साथ में अस्पताल तक महिला का साथ निभाती हैं । इसी तरह एएनएम भी जरूरी टीका की सुविधा प्रदान करने के साथ ही आयरन-कैल्शियम की गोलियों के फायदे बताती हैं । आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गर्भवती के सही पोषण का ख्याल रखती हैं । इस तरह ट्रिपल ए (आशा, एएनएम व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता) के साथ ही हर किसी का पूरा प्रयास होता है कि – हर मां की बांहों में हो स्वस्थ व खुशहाल बच्चा ।

गर्भवती को पहले से यह बीमारी हो तो विशेष देखभाल करें :

  • हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) या मधुमेह (डायबीटीज)
  • दिल की या गुर्दे की बीमारी , टीबी या मिर्गी की बीमारी
  • पीलिया, लीवर की बीमारी या हाईपो थायराइड
  • जानें गर्भावस्था के जोखिम :
  • गंभीर एनीमिया- सात ग्राम से कम हीमोग्लोबिन
  • ब्लड प्रेशर 140/90 से अधिक
  • गर्भ में आड़ा/तिरछा या उल्टा बच्चा
  • चौथे महीने के बाद खून जाना
  • गर्भावस्था में डायबिटीज का पता चलना
  • एचआईवी या किसी अन्य बीमारी से ग्रसित होना

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