भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा कछुआ तालाब 

विशालकाय अनेक कछुओं की हत्या का जिम्मेदार कौन ?

कानपुर। महानगर में पनकी में मशहूर तालाब है जिसे लोग कछुआ तालाब के नाम भी जानते हैं। तालाब को देखने आसपास के नहीं बल्कि दूर दराज के लोग सपरिवार उस तालाब के कछुओं की अठखेलियां देखने आते रहे हैं। उन्हें उनका मनपसन्द व्यंजन पनीर व अन्य चीजें खिलाया करते थे। चाहे बच्चे हों या बुजुर्ग सभी का मन बहुत प्रफुल्लित हो उठता था भारी भरकम अनेक कछुओं के साथ अपना समय व्यतीत कर के। सरकार ने इसका सुंदरीकरण करवा कर इसे ऐतिहासकि धरोहर बनाने के किये करोड़ो रूपये का बजट पास किया, लेकिन विभाग के भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारी और अभियंता सरकारी धन को किस तरह कागजों पर चढ़ा कर कार्य संपन्न दिखाया यह देखते ही समझ में आता है। स्थानीय लोगों द्वारा बताया गया कि कछुआ तालाब में कछुओं के शरीर को देखने के अनुसार ऐसा प्रतीत होता था कि कछुए बहुत उम्रदराज थे, जिन्हें सैकड़ों साल का बताया जाता था। कुछओं की चर्चा सुनकर करके अनेक लोग तालाब को देखने आते रहते रहे हैं। साथ ही जो लोग पौराणिक मान्यताओं को मानते हैं वो अपनी आस्था के साथ आते हैं, मन्नत मांगते हैं क्योंकि कूर्म अवतार को ‘कच्छप अवतार’ (कछुआ के रूप में अवतार) भी कहते हैं। कूर्म के अवतार में भगवान विष्णु ने क्षीरसागर के समुद्रमंथन के समय मंदार पर्वत को अपने कवच पर संभाला था।

लिंगपुराण (94) के अनुसार पृथ्वी रसातल को जा रही थी, तब विष्णु ने कच्छपरूप में अवतार लिया। अर्थात सनातन संस्कृति में कछुआ के प्रति बहुत आस्था है।पिछले दिनो जब कछुआ तालाब में वहां का वीभत्स नजारा देखा तो आंखो पर विश्वास नहीं हुआ, क्योंकि जिस तालाब में कछुए लोगों के साथ अठखेलियाँ किया करते थे वो अब हमेशा-हमेशा के लिये शान्त थे, यानि कि मर चुके थे और तालाब के आसपास नालीनुमा बनायी गई जगह पर भरे पानी में उतरा रहे थे। जनप्रतिनिधियों व जिला प्रशासन के भय से स्थानीय लोंग कुछ बताने से बचते दिखे। उनका कहना था कि आप तो चले जाओगे और जैसे ही खबर लिखोगे जिला प्रशासन ही नहीं बल्कि जनता के प्रतिनिधियों के प्रतिनिधि यहां आकर धमकाना शुरू कर देगें और मुंह बन्द रखने की हिदायत देगे। उनकी मजबूरी को समझते हुए उनसे तालाब सुन्दरीकरण के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि लापरवाही के कारण विशालकाय अनेक कछुए मर गये जिन्हें जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में जेसीबी के सहारे जमीन में गाड़ (दफना) दिया गया। कार्यवाई के नाम पर औपचारिकता निभा ली गई।

कब तक थी सुन्दरीकरण कार्य को करने की अवधि ?
कानपुर नगर निगम के तत्वावधान में नगरीय झील, तालाब, पोखर संरक्षण योजना के अन्तर्गत 470.21 लाख की कुल लागत (डीपीआर के अनुसार) से दिनाँक 26 मई 2017 से शुरू होकर पूर्ण करने की सम्भावित तिथि 25 अगस्त 2020 नियत थी लेकिन तालाब का सुन्दरीकरण का कार्य आज तक अधूरा है। कब तक कार्य पूरा होगा इसके बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी ? कछुआ तालाब के वर्तमान नजारों को देखकर व स्थानीय लोगों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह प्रतीत होता है कि जिला प्रशासन के अलावा शहर के सनातन प्रेमी जनप्रतिनिधियों का समर्थन इस दुष्कृत्य में है। वहीं कछुआ तालाब के सुन्दरीकरण के कार्य में भ्रष्टाचार जमकर किया गया है।जब आप इस प्रश्न का उत्तर खोजने का हेतु मौके पर जायेंगे तो वहां का नजारा देखकर आप कयास लगा ही लेंगे तालाब के स्वरूप को परिवर्तन करने की मूर्खतापूर्ण रूपरेखा तय करने वाले लोगों के द्वारा सुन्दरीकरण करने के लिये गये फैसले के कारण तालाब का प्राकृतिक स्वरूप छिन्न-भिन्न हो गया, तालाब के बीच में टापू सा नजारा बन गया, कछुओं के लिये समुचित पानी नहीं रहा, ना ही उनके जीवन के प्रति अनुकूल परिस्थितियां और नतीजा यह हुआ कि सैकड़ों वर्षों तक जीवित रहने वाले विशालकाय अनेक कुछए व जलीय जीव अकाल ही काल के गाल में समा गये।

कछुआ तालाब के बारे में कई बार लोग जांच करने जा चुके है। मै इसके सुन्दरीकरण के बारे में स्वयं जाकर जानकारी करती हूँ कि अब तक क्या मामला रहा जो कि कार्य समय पर पूरा नही हो सका।  प्रर्मिला पाण्डे, महापौर कानपुर नगर

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