हमेशा से आतंकियों के साथ रही अखिलेश की सहानुभूति
आतंकियों के परिवार का समाजवादी कनेक्शन
देशद्रोहियों, दंगाइयों की समर्थक रही है समाजवादी पार्टी
कल अहमदाबाद ब्लास्ट मामले में आए फैसले से यह हुआ सिद्ध
शुक्रवार को गुजरात के अहमदाबाद में 2008 के सीरियल ब्लास्ट केस में विशेष अदालत ने जिन 49 दोषियों के लिए सजा का ऐलान करते हुए 38 को फांसी और 11 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। उनमे भी कई आतंकी उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के रहने वाले थे। यही नहीं उनके एक आतंकी मोहम्मद सैफ के पिता शादाब अहमद पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी निकले। यही नहीं इन दिनों वो खुद समाजवादी पार्टी के प्रचार-प्रसार में लगे हैं। यानि जिस आजमगढ़ को लेकर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सवाल उठाते आए हैं वो वाकई सही है। समाजवादी पार्टी का हाथ, आतंकियों के साथ है। इस बात की तस्दीक भी सोशल मीडिया पर पड़ी शादाब अहमद और अखिलेश यादव की तस्वीर करती है। कोर्ट में वकील ने इस बात को कहा है कि आरोपी मोहम्मद सैफ के पिता का समाजवादी पार्टी से कनेक्शन है।
ऐसे में सवाल उठता है कि जिन आतंकियों ने मासूमों की जान ली हो उन्हें कोई अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए क्यों इस्तेमाल करता है। सवाल ये भी है कि समाजवादी पार्टी को आतंकियों से इतना प्यार क्यों हैं। अखिलेश सरकार ने कचहरी सीरियल ब्लास्ट के आरोपियों के मुकदमे की वापसी के लिए सत्ता में आते ही पहला फैसला लिया था।
सपा सरकार ने वर्ष 2013 में कुल 7 जनपदों के 14 मामलों में मुकदमे वापस लेने का फैसला किया था। जिनमें वाराणसी, गोरखपुर, बिजनौर, लखनऊ, कानपुर नगर, रामपुर और बारांबकी शामिल थे। लेकिन कोर्ट ने न केवल इन मुकदमों को समाप्त करने से मना किया बल्कि कई आतंकियों को सजा भी सुनाई थी। गोरखपुर मामले में आतंकी मोहम्मद तारिक काजमी को लेकर कोर्ट में मुकदमा चला भी दोषियों को 20 वर्ष सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई गई। ऐसे ही कानपुर के इम्तियाज अली को 23 वर्ष, सितारा बेगम आदि को 7 वर्ष सश्रम कारावास व जुर्माने की सजा सुनाई गई। बाराबंकी मामले में तारिक काजमी और खालिद मुजाहिद को भी आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई। यानि जिन आतंकियों के मुकदमे वापसी के लिए पूर्व मुख्यमंत्री आखिलेश यादव पैरवी कर रहे थे वो आतंकवादी थे।
गौर करने वाली बात है कि अगर 2013 में कोर्ट ने अखिलेश सरकार के आतंकियों पर लगे मुकदमे वापसी के फैसले को खारिज नहीं किया होता तो आज सभी आतंकी देश और समाज में आजाद घूम कर आतंक फैला रहे होते। सवाल ये भी है कि अगर ऐसी आतंकियों के प्रति ऐसे प्यार दिखाने वाले लोगों को दोबारा मौका दिया गया तो यह क्या करेंगे।