उद्यान उप निदेशक ने बुंदेलखंडी समस्याओं पर की चर्चा
विश्वविद्यालय के स्थापना सप्ताह में रहे उपस्थित
भास्कर न्यूज
बांदा। कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय स्थापना सप्ताह के तीसरे दिन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद उप निदेशक उद्यान ने बुंदेलखंड की विभिन्न समस्याओं पर चर्चा करते हुए समाधान के तरीके सुझाए। कहा कि पिछड़े बुंदेलखंड के विकास में औद्यानिक आधारित खेती और उद्योगों की भूमिका महत्वपूर्ण है। कृषि को सुदृढ़ कर बुंदेलखंड में पलायन की समस्या को खत्म किया जा सकता है।
कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के 12 वें स्थापन सप्ताह के तीसरे दिन शनिवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (नई दिल्ली) उप निदेशक उद्यान डा.एके सिंह ने विश्वविद्यालय पादप रोग विज्ञान विभागाध्यक्ष डा.वीके सिंह द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन किया। कहा कि बुंदेलखंड के बड़े भूभाग में औद्यानिक आधारित खेती की आपार संभावनाएं है। देश के आजादी के पहले कि परिस्थितियां बहुत बदल गई हैं। खाद्य पदार्थों के साथ फल और सब्जियों मे भी आत्मनिर्भर हुए है। वैज्ञानिक और व्यवसायिक खेती समय की मांग है। वैज्ञानिकों द्वारा तकनीक विकास का परिणाम है कि खाद्य पदार्थ पर आत्मनिर्भरता बढ़ी है।
अध्ययनरत छात्रों से कहा कि शिक्षा ग्रहण करने के बाद इस ओर अपना ध्यान लगाएं। साथ ही अन्य दक्ष लोगों को भी रोजगार प्रदान करें। भारत सरकार द्वारा 2025 तक 10000 कृषक उत्पादक समूह गठन की योजना रखी है। वैज्ञानिकों से आयात होने वाली फसलों के उत्पादन बढ़ाने को प्रजाति, संसाधन एवं तकनीकियां विकसित करने का आह्वान किया।
अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.नरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय में युवा वैज्ञानिक अपनी क्षमता से भी ज्यादा सीमित संसाधनो में शिक्षा, शोध एवं प्रसार गतिविधियो को बढ़ा रहा है। इस मौके पर डा.एसवी द्विवेदी, इस मौके पर डा.एके श्रीवास्तव, डा.वीके सिंह, डा.विज्ञान मिश्रा आदि उपस्थित रहे।