सरकारी कागजों की हेराफेरी का दंश झेल रहा बुजुर्ग भगवंता
बुजुर्ग ने डीएम की चौखट पर लगाई न्याय दिलाने की गुहार
करीब एक साल से नहीं मिल पा रहा वृद्धावस्था पेंशन का लाभ
भास्कर न्यूज
बांदा। ‘मैं जिंदा ठाढ़ हौं, मोहि मरा दिखा दिन्हिन है, आषाढ़ से पैसा नहीं मिला बाबू जी’ यह करुण पुकार है, एक बुजुर्ग की, जिसे अभिलेखों में मृत दिखा दिया गया है। अपने आप को जीवित साबित करने के लिए यह बुजुर्ग अधिकारियों की चौखट पर दर-दर भटक रहा है ताकि उसे पेंशन मिलने लगे वह बताता है कि 6 माह पहले तक उसे पेंशन मिल रही थी।
तहसील अतर्रा अंतर्गत विकासखंड महुआ के नाई गांव का निवासी भगवंता पुत्र चुनबाद सोमवार को जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचा और एक शिकायती पत्र दिया। इसमें कहा गया है वह गरीब, असहाय व वृद्ध है। मुझे वृद्धावस्था पेंशन मिल रही थी लेकिन वित्तीय वर्ष 2021-22 में संबंधित कर्मचारी द्वारा सत्यापन रिपोर्ट में जांच के समय लाभार्थी को 3 जुलाई 2021 को मृत घोषित कर दिया गया था। जिससे मुझे पेंशन मिलना बंद हो गई। अपने आप को जीवित साबित करने के लिए मुझे अधिकारियों के कार्यालयों में चक्कर लगाना पड़ रहा है। मेरी कोई औलाद नहीं है जिसके सहारे अपना जीवन यापन कर सकूं। पेंशन बंद हो जाने से भुखमरी की नौबत आ गई है। पीड़ित ने मांग की है कि इस प्रकरण की पुनः जांच कराकर मेरी पेंशन बहाल की जाए तथा अभिलेखों में मृत दर्शाने वाले कर्मचारी की जांच कर उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जाए।
इस संबंध में जिलाधिकारी द्वारा जांच के आदेश दिए जाने पर जिला समाज कल्याण अधिकारी गीता सिंह ने खंड विकास अधिकारी महुआ को पत्र भेजा है और पूरे प्रकरण की जांच करने को कहा है। पत्र में कहा गया है कि आवेदक के वृद्धावस्था पेंशन के संबंध में ऑनलाइन डाटा से मिलान किया गया। जिसमें यह तथ्य प्रकाश में आया कि वित्तीय वर्ष 2021-22 के सत्यापन में विकासखंड स्तर प्राप्त सत्यापन सूची के क्रम संख्या 9 पर अंकित आवेदक भगवंता पुत्र चुनबाद के जीवित होने के बावजूद भी योजना अंतर्गत वार्षिक सत्यापन में मृतक होने की पुष्टि की गई। सत्यापन आख्या के आधार पर उक्त आवेदक की वृद्धावस्था पेंशन समाप्त कर दी गई है।
जबकि उक्त आवेदक जीवित है इससे स्पष्ट होता है कि आपके अधीनस्थ ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा सत्यापन में घोर लापरवाही की गई है और स्थलीय सत्यापन नहीं किया गया है।