कानपुर : अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस केडीए में धूमधाम से मनाया गया

कानपुर। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर केडीए में गीत-संगीत, नृत्य नाटिका एवं पीएम आवास योजना के सम्बन्ध में लघुनाटिका प्रस्तुत कर समाज के कमजोर वर्गों को जागरूक करने का प्रयास किया गया। भारत सरकार द्वारा दिशा-निर्देशों के क्रम में कार्यक्रम का आयोजन प्राधिकरण की महिला सशक्तिकरण की नोडल अधिकारी रेनू पाठक द्वारा महिला दिवस पर एक वृहद् गोष्ठी एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम मंगलवार को अटल बिहारी प्रेक्षाग्रह में आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारम्भ उपाध्यक्ष अरविन्द सिंह, सचिव शत्रोहन वैश्य, मुख्य अभियन्ता रोहित खन्ना, विशेष कार्याधिकारी रेनू पाठक, मीनाक्षी गुप्ता द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया।

सांस्कृतिक कार्यक्रम के प्रारम्भ में सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की गयी। वीसी अरविंद सिंह ने सम्बोधित करते हुये अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस प्राधिकरण की महिला कर्मचारियों की सराहना करते हुये कहा कि जब-जब इस पृथ्वी पर नारी के सम्मान के साथ समझौता किया गया है उसका व्यापक परिणाम समाज को भोगने पड़े हैं। उन्होंने नारी शक्ति के स्वरूप को प्रकृति के साथ जोड़ते हुये कहा कि हम प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करते हैं तो उतनी ही शालीनता से वह हमे माफ करती है परन्तु जब हम अपनी सीमा/मर्यादा लांघ जाते हैं तो प्रकृति हमें दण्डित भी करती है।उन्होंने ने बताया हम स्त्री सम्मान के विरूद्ध कोई कार्य करते हैं या उनके प्रगति के मार्ग में रोड़ा अटकाने का प्रयास करते हैं और उनके द्वारा कोई विरोध नहीं किया जाता है तो इसका तात्पर्य यही है कि प्रकृति की भांति उन्होने हमारे इस दुष्कृत्य को क्षमा किया है परन्तु जब अत्याचार बढ़ जाता है तो आज की नारी शक्ति आगे बढ़कर उसका डटकर मुकाबला कर दण्डित करती है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1975 में नारी शक्ति की समानता हेतु प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की प्रथा डाली, यह विश्व के पुरूष प्रधान समाज के अपराधबोध के परिणाम का परिचायक ही था।

इस अवसर पर सचिव केडीए शत्रोहन वैश्य द्वारा स्वरचित कविता की कुछ पंक्तियां कही गयी मां की ममता अनमोल रतन है, मोल नहीं है उसकी ममता का, वह तो हीरा जड़ा रतन है सचिव ने कहा कि बेटियां प्रत्येक घर में नहीं आतीं वह उन्हीं घरों में आती हैं जहां स्वयं ईश्वर आना पसन्द करते हैं। विधि अधिकारी शशि भूषण राय ने बताया कि नारी शक्ति का सम्मान हमारे प्राचीन संस्कृति में समाहित है। हमारे वेदों/ऋचाओं में कहा गया है कि यत्र नार्येस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्रदेवताः। स्त्री का सम्मान करना हमारा नैतिक, सांविधिक एवं आत्मिक कर्तव्य है।जिस घर में नारी को सम्मान नहीं दिया जाता है वहां महाभारत होता है एवं जहां नारी को आदरपूर्वक सम्मान दिया जाता है वहां पर रामायण का पाठ होता है।

कार्यक्रम को विशेष कार्याधिकारी  रेनू पाठक, मीनाक्षी गुप्ता आदि द्वारा भी सम्बोधित किया गया एवं प्राधिकरण के महिला कर्मचारियों के साथ-साथ केडीकेएल शास्त्री इण्टर कालेज के स्कूली बच्चों के द्वारा भी मनमोहक प्रस्तुति दी गयी। कार्यक्रम का संचालन रेखा यादव द्वारा किया गया।

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