लखनऊ: यूपी में भारतीय जनता पार्टी के नए मंत्रिमंडल का चेहरा किस तरह का होगा इसका फैसला दिल्ली में किया जाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज दिल्ली जा सकते हैं, जहां केंद्रीय नेतृत्व से वार्ता करेंगे. जिसके बाद 2024 लोकसभा चुनाव के तमाम समीकरणों को देखते हुए उत्तर प्रदेश में मंत्रिमंडल के नए स्वरूप का निर्णय लिया जाएगा. इस बार मंत्रिमंडल में डिप्टी सीएम के पद पर नए चेहरे सामने आ सकते हैं. उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के अपने क्षेत्र में चुनाव हार जाने के बाद इसकी प्रबल संभावना जताई जा रही है. माना जा रहा है कि इस बार उप मुख्यमंत्री के दोनों पदों पर नए चेहरे पर भाजपा दांव लगा सकती है. एक संभावना यह भी है कि भाजपा तीन उपमुख्यमंत्री इस बार शामिल कर सकती है. जिसमें मुख्यमंत्री क्षत्रिय होने के अलावा, एक उप मुख्यमंत्री ब्राह्मण, एक अनुसूचित जाति से और एक उपमुख्यमंत्री पिछड़े वर्ग से हो सकता है.
भाजपा के नए मंत्रिमंडल पर सभी की निगाहें हैं. इस बार बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी, ग्रामीण विकास मंत्री मोती सिंह, गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा के अलावा कई अन्य मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ा है. इसके अलावा दारा सिंह, धर्म सिंह सैनी और स्वामी प्रसाद मौर्य पहले ही पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं. इसलिए भाजपा के पास में स्थान अधिक हैं, जिस पर नए चेहरे चमक सकते हैं. इस संबंध में फैसला दिल्ली दरबार में ही होगा. भारतीय जनता पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और महामंत्री संगठन सुनील बंसल शुक्रवार को दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व के साथ इस विषय पर चर्चा कर सकते हैं. जिसके बाद में मंत्रिमंडल के पूरे स्वरूप को तय किया जाएगा.
यह हो सकते हैं मंत्रिमंडल के नए चेहरे
स्वतंत्र देव सिंह प्रदेश अध्यक्ष, बेबी रानी मौर्य, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राजेश्वर सिंह सरोजिनी नगर से विधायक, असीम अरुण कन्नौज से विधायक, शलभ मणि त्रिपाठी कुशीनगर से विधायक, पंकज सिंह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र.
शपथ ग्रहण में आ सकते हैं प्रधानमंत्री और अमित शाह
भारतीय जनता पार्टी के भव्य शपथ ग्रहण समारोह में इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आ सकते हैं. उनके साथ में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हो सकते हैं. शपथ ग्रहण को लेकर तारीख भी दिल्ली में ही तय होगी. बहुत संभव है कि 14 मार्च को शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाए या फिर होलाष्टक को देखते हुए होली के बाद ही शपथ ग्रहण समारोह आयोजित हो.