
कानपुर | सीएसए के कुलपति डा डीआर सिंह के निर्देश के क्रम में कीट विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ वाई पी मलिक ने खीरे की फसल में कीड़ों का प्रबंधन विषय पर एडवाइजरी जारी की है उन्होंने बताया कि खीरा फसल में हानिकारक कीटों का नियंत्रण आवश्यक है डॉक्टर मलिक ने कहा कि खीरा फसल में प्रमुख कीट कद्दू का लाल कीट, सफेद मक्खी एवं लाल मकड़ी आदि प्रमुख रूप से आर्थिक क्षति पहुंचाते हैं। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि यदि खीरा उत्पादक यदि अच्छी पैदावार चाहते हैं तो इन सबका प्रबंधन करना होगा।
उन्होंने बताया कि लाल कीट मार्च महीने में अधिक सक्रिय रहता है और फसल पर आक्रमण करके मुलायम पतियों को नष्ट कर देता है। इसकी रोकथाम के लिए डाईक्लोरोवास 76 ई सी 1.25 मिली लीटर प्रति लीटर पानी के हिसाब से फसल पर छिड़काव करें। सफेद मक्खी की रोकथाम के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 0.3 मिलीलीटर दवा प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
डॉक्टर मलिक ने बताया कि लाल मकड़ी की रोकथाम के लिए डाई गोपाल 18.5 ईसी 5 मिलीलीटर दवा को पानी की 1 लीटर पानी के साथ घोलकर किसान भाई छिड़काव करें। उन्होंने बताया कि यदि किसान भाई खीरे की फसल में कीटों का प्रबंधन कर लेते हैं। तो गुणवत्ता परक खीरा उत्पादित होगा तथा बाजार मूल्य अधिक मिलेगा जिससे किसानों को की आय में वृद्धि होगी।