मेरठ। राजस्थान के दौसा में एक मरीज की इलाज के दौरान हुई मौत के बाद पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों व छुटभैया नेताओं द्वारा प्रताड़ित की गई आईएमए की सदस्या डा. अर्चना शर्मा ने सुसाइड कर लिया था, इस दौरान डा. अर्चना ने अपनी बेगुनाही का सुसाइड नोट छोड़ दिया था, जिसमें उन्होंने बेगुनाह डाक्टरों को ना सताने की अपील की थी। इस अपील का असर मेरठ तक हुआ। जिसके संबंध में गुरुवार को आईएमए सभागार में एमरजेंसी बैठक आयोजित की गई, जिसमें घटना की कड़ी भर्त्सना की गई। 2 अप्रेल तक हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया गया। आईएमए मेरठ शाखा की सचिव डा. अनुपम सिरोही ने बताया, राजस्थान के दौसा में पुलिस प्रशासन की प्रताड़ना से परेशान होकर व दूसरों की जिदंगी बचाते-बचाते खुद की जिंदगी खत्म करने को मजबूर होने वाली डा. अर्चना शर्मा की मौत के जिम्मेदार पुलिस प्रशासन के अधिकारी है। डा. अर्चना शर्मा को पुलिस प्रशासन ने इस कदर प्रताड़ित किया कि उन्हें अपने सुसाइट नोट में लिखना पड़ा कि डाक्टरों का उत्पीड़न करना बंद कीजिए। अध्यक्षा डा. रेनू भगत ने कहा, यह बेहद दुखद व दिल को चीर देने वाला है कि कोई डाक्टर मौत को गले लगाने से पहले सुसाइड नोट में लिखे कि डाक्टरों को प्रताड़ित करना बंद कीजिए। आईएमए के पूर्व सचिव डा. संदीप जैन ने इसको शर्मनाक बताया। डा. उमंग अरोरा ने कहा, यह असहनीय है। आईएमए के पूर्व सचिव डा. अनिल नौसरान ने कहा, देश भर के चार लाख से ज्यादा आईएमए के चिकित्सक इस मामले में एक साथ हैं। सभी चाहते हैं कि डा. अर्चना शर्मा को इंसाफ मिले। बैठक की अध्यक्षता आईएमए अध्यक्ष डा. रेनू भुगत ने की। संचालन अनुपम सिरोही ने किया। ये निर्णय लिए गए -डा. अर्चना शर्मा व डा. सुमित उपाध्याय पर धारा 302 लगाने वाले पुलिस आॅफिसर तुरंत बर्खास्त हो। -पुलिसकर्मियों पर डा. अर्चना को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का मुकदमा दर्ज हो। -असामाजिक तत्व व स्थानीय नेता की पहचान हो, क्योंकि ये लोग ही मृत शरीर को वापस अस्पताल लेकर आए थे। -चिकित्साकर्मियों के विरूद्ध दर्ज होने वाले मामलों में जेकब मैथ्यू केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों की अवमानना का मुकदमा राजस्थान के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों पर दर्ज हो।
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