अमित शुक्ला
स्त्री के हाँथ होती है पति व पिता दोनो कुलो की मर्यादा
सफीपुर उन्नाव। भगवान श्याम सुन्दर ने शरद पूर्णिमा को महारास रचाया और ज्यो ही बंशी बजाई तो देर रात सभी गोपियां अपना काम धाम त्याग कर दौडी आई और महारास मे शामिल हुई। जहाँ भगवान ने गोपियो को शिक्षा दी। पति सेवा बच्चो का लालन पालन करने और पति व पिता दोनो कुलो की मर्यादा की रक्षा करना ही महिला का धर्म है ।
उक्त उदगार नैमिशारण्य तीर्थ के कथा व्यास मुनेन्द कुमार पाण्डेय ने महारास की कथा सुनाते हुये क्षेत्र के रहुवाडीह सराय सकहन गांव मे व्यक्त किये। उन्होने कथा सुनाते हुये कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने शरद पूर्णिमा की अर्ध रात्रि को महारास रचाया और जंगल मे बांसुरी की धुन बजाई। बंशी की धुन सुन सभी गोपियां सारे काम धाम त्यागकर दौड पडी और भगवान श्याम सुन्दर के सन्निकट महारास मे पहुंच गई।
पहले तो भगवान ने सभी गोपियो का स्वागत सम्मान किया लेकिन दुसरे ही पल प्रभु ने बंशी सुनकर दौडी आई सभी गोपियो को एक सवाल करके चौका दिया गोपिया निरूत्तर हो गई कि इतनी रात्रि को जंगल मे सभी मर्यादाए तोडकर क्यो आ गई तो गोपियो ने ताने भरे लहजे मे नाराज स्वर मे कहा कि पहले प्रेम वाहिनी बंशी बजाकर बुलाते हो और आने पर पूछते हो क्यो आ गई। इसी जगह भगवान ने गोपियो को स्त्री धर्म की शिक्षा दिया। उन्होने कहा कि स्त्री के तीन धर्म है पहला पति की सेवा दूसरा पुत्रो का लालन पालन करना और तीसरा पति व पिता दोनो के कुलो की मर्यादा के बिपरीत कोई कार्य न करे। कुल मिलाकर दोनो कुलो की मर्यादा स्त्री के हाँथ रक्षार्थ होती है ।
कथा बाचक ने आगे सुनाते हुये कहा कि गोपियो को भगवान के प्रेम के प्रति अहंकार हो गया । जिसका भगवान श्याम सुन्दर ने तत्काल फल दिया और अचानक महारास से अंतर्धान हो गये इधर गोपियां भगवान के बिना व्याकुल होने लगी और इधर उधर भागकर प्रभु को तलाश करने लगी । गोपियो ने भगवान से सच्चा प्रेम किया है भगवान के बिना गोपिया रह नही सकती। भगवान को अपने बीच न पाकर गोपियां बिलाप करने लगी ।