JNU में हिंसा, छात्र संगठनों ने एक-दूसरे पर लगाए ये आरोप, जानिए पूरा मामला

दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) एक बार फिर हिंसा को लेकर चर्चा में है।वामपंथी छात्र संगठन (AISA) और दक्षिणपंथी छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने एक-दूसरे पर मारपीट के आरोप लगाए हैं। टकराव में कई छात्रों को चोटें आई हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हालात संभालने के लिए पुलिस को परिसर में जाना पड़ा।परिसर से आई तस्वीरों में कुछ छात्राओं के माथे से खून बहता देखा जा रहा है।

छात्र संगठनों ने एक-दूसरे पर लगाए ये आरोप

वामपंथी छात्र संगठनों का आरोप है कि ABVP के सदस्यों ने कावेरी हॉस्टल में मांसाहारी खाना पकाने और परोसने से रोका था। आरोप है कि ABVP ने हॉस्टल में मांसाहार की आपूर्ति को रोक दिया और मेस सचिव के साथ भी मारपीट की।दूसरी तरफ ABVP सदस्यों का आरोप है कि रामनवमी के अवसर पर कावेरी हॉस्टल में पूजा चल रही थी। इसी दौरान वामपंथी छात्रों ने उन पर हमला कर दिया।

छात्रों ने क्या बताया?

JNU छात्र संघ के काउंसलर अनाघा प्रदीप ने कहा कि रविवार को सभी हॉस्टलों में शाकाहारी और मांसाहारी खाना बनता है। ABVP के छात्र कावेरी हॉस्टल के पास कुछ आयोजन कर रहे थे। इस दौरान जब वेंडर चिकन देने आया तो उन्होंने उसे रोक दिया।प्रदीप ने दावा किया कि ABVP से जुड़े छात्रों ने वेंडर और मेस सचिव के साथ यह कहते हुए हाथापाई कि हवन के समय मांसाहारी खाना नहीं बनाया जा सकता।

ABVP ने आरोपों का खंडन किया

दूसरी तरफ ABVP का कहना है कि मांसाहार कोई मुद्दा नहीं है।ABVP-JNU के सचिव उमेश अजमीरा ने कहा कि छात्र कावेरी हॉस्टल में रामनवमी पर हवन कर रहे थे, लेकिन वामपंथी छात्र इसके खिलाफ थे। वे हवन और अन्य छात्रों को इसमें शामिल होने से रोकना चाहते थे। हवन 3:30 बजे शुरू होना था, लेकिन हंगामे के कारण 5 बजे शुरू हो सका। उन्होंने कहा कि पर्दा डालने के लिए मांसाहार को लेकर विवाद पैदा किया जा रहा है।

हिंसा में तब्दील हुआ तनाव

यह तनाव शाम करीब 7:30 बजे हिंसा में तब्दील हो गया। दोनों संगठनों के छात्रों ने एक-दूसरे पर पत्थरबाजी करने का आरोप लगाया है।हिंसा में घायल हुए SFI कार्यकर्ता हरेंद्र सेषमा ने आरोप लगाया कि ABVP कार्यकर्ता लाठियां और ईंटे लेकर आए थे। मांसाहारी खाना पकता देख वो आक्रमक हो गए और छात्रों की पिटाई शुरू कर दी।हिंसा में ABVP कार्यकर्ता भी घायल हुए हैं और उन्होंने वामपंथी संगठनों पर हिंसा को बढ़ावा देने के आरोप लगाए हैं।

पुलिस का क्या कहना है?

DCP साउथ वेस्ट मनोज सी ने कहा कि रात 9:45 बजे तक हालात शांतिपूर्ण हो गये थे और तब तक दिल्ली पुलिस परिसर में मौजूद थी। उन्होंने बताया, “दोनों तरफ से छात्र शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं। शिकायतों के आधार पर उचित कानूनी कदम उठाए जाएंगे। यूनिवर्सिटी प्रशासन से अनुमति मिलने के बाद हम परिसर में पहुंचे थे। ये आरोप गलत हैं कि पुलिस ने हिंसा को रोकने के लिए कुछ नहीं किया।”

2020 में भी हुई थी हिंसा

इससे पहले जनवरी, 2020 में भी JNU परिसर में हिंसा हुई थी। तब करीब 100 नकाबपोश लोग लाठी-डंडों के साथ परिसर में घुसे और हिंसा शुरू कर दी। इस हमले में JNU छात्र संघ प्रमुख आइशी घोष समेत 36 छात्र, शिक्षक और कर्मचारी घायल हुए थे। पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज की थी, लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। इस घटना को लेकर JNU प्रशासन और पुलिस पर कई सवाल उठे थे।

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