लियाकत मंसूरी
मेरठ। रमजान-उल-मुबारक माह का पहला अशरा गुजरने के बाद बुधवार से दूसरा मगफिरत का अशरा शुरू हो गया। दूसरी तरफ नमाज अदा करने वाले रोजेदारों की भीड़ भी लगातार मस्जिदों में बढ़ रही है। सफे बाहर सड़क तक बिछाकर अल्लाह की इबादत को अंजाम दिया जा रहा हैं। नायब शहर काजी जैनुल राशिद्दीन ने बताया, रमजान अल्लाह की इबादत का खास महीना है। दस रमजान का पहला अशरा मंगलवार को खत्म हो गया। दूसरा अशरा बुधवार यानि आज से शुरू हो गया। जिन लोगों की इबादत में अगर कोई कमी पहले अशरे में रह गई तो वह दूसरे अशरे में सुधार कर सकता है। उनका कहना है कि रोजेदार इबादत करें और अल्लाह से अपने गुनाह की माफी मांगे। रमजान में अल्लाह अपने नेक बंदों की हर जरूरत को पूरा करता है और उसे किसी भी तरह परेशान नहीं होने देता। जहन्नुम से आजादी का है तीसरा अशरा उन्होंने बताया, पहले अशरे में अल्लाह की रहमतें नेक बन्दों पर बरशी है। दूसरा अशरा मगफिरत का और तीसरा अशरा जहन्नुम की आग से आजादी का होता है। दूसरे अशरे में अल्लाह अपने बन्दों के गुनाहों को माफ करता है। उनकी मुश्किलों को दूर करता है। अशरा-ए-मगफिरत के एक-एक पल की कद्र करें और अल्लाह से गुनाहों की तोबा मांगें। मस्जिदों के अंदर बरस रहा नूर बतादें कि रमजान के इस पाक महीने में मस्जिदों के अन्दर भी नूर बरस रहा हैं। हापुड अड्डा, गोला कुआं, लालकुर्ती, जैदी फार्म, जाकिर कॉलोनी समेत शहर के कई इलाकों की मस्जिदों को रंगीन झालरों से सजाया हुआ है जो तराबीह के वक्त रंगीन रोशनी बिखेरती है। जकात, सदका भी जरूरी रमजान में इबादत का यूं तो खास मर्तबा है, लेकिन रमजान माह में एक रात ऐसी होगी, जो हजार रातों से बेहतर होगी। इस रात की इबादत को सबसे अफजल बताया गया है। माह-ए-रमजान में इबादत, जकात, सदका समेत गरीब लोगों की मदद करना आदि सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। नायब शहर काजी ने बताया, इस रात को मौसम भी इबादत के अनुकूल होता है। यह रात अन्य रातों के मुकाबले चमकीली, खुशनुमा होती है। इस रात अल्लाह बंदों के करीब आकर उनकी इबादतों को सुनते है। इसके बदले इबादतकर्ता द्वारा मांगे जाने वाली सभी दुआओं को कबूल कर उनका दर्जा बुलंद कर देते हैं।