इटावा . उत्तर प्रदेश के इटावा मे राजकीय रेलवे पुलिस के उपनिरीक्षक समेत छह पुलिसकर्मियो के खिलाफ एक वकील और उसके परिजनो के साथ चैकिंग करने के नाम पर लूट करने का मुकदमा दर्ज कराने के आदेश दिए गए हैं।
विशेष न्यायाधीश (दस्यु प्रभावित) हुसैन अहमद अंसारी ने राजकीय रेलवे पुलिस को दरोगा और सिपाहियो के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया है। रेलवे पुलिस को दो दिन के अंदर प्राथमिकी की रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करनी होगी ।
पीडित अधिवक्ता गजेंद्र सिंह वर्मा ने रविवार को बताया कि बीते पांच नवंबर को चाचा का निधन होने के बाद वह उनकी अस्थियां संगम तट पर विसर्जित कर लौट रहे थे । चचेरा भाई सौरभ और चाचा वीरेंद्र सिंह भी साथ थे। देर रात करीब साढ़े तीन बजे संगम एक्सप्रेस से इटावा जंक्शन पर उतरने के बाद तीनों प्लेटफार्म नंबर एक से बाहर निकल रहे थे कि एक अज्ञात व्यक्ति ने उन्हे टोका मगर बदमाश होने की आशंका पर वे लोग रुके नहीं ।
इसी बीच जीआरपी दारोगा रामचंद्र यादव, सिपाही विनोद और नीरज आ गए और तीनों को बलपूर्वक थाने ले गए । वहां उनके एवं परिजनों के साथ तीन अज्ञात सिपाहियों ने मारपीट की और अधिवक्ता की जेब से 32 सौ, सोने की अंगूठी, चाचा की जेब से 53 सौ रुपये और चेन अंगूठी लूट ली ।
इसके बाद जबरन गलती स्वीकारने की बात लिखित में लेकर छोड़ दिया । पीड़ितों ने उसी समय सरकारी अस्पताल मे चिकित्सीय परीक्षण कराया।
अधिवक्ता ने बताया कि एसपी रेलवे आगरा व एसएसपी इटावा से दारोगा-सिपाहियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया, लेकिन किसी ने नहीं सुनी । इस पर उन्होने अदालत की शरण ली ।
गौरतलब है कि वर्तमान में आरोपित दारोगा के पास जीआरपी थाने का प्रभार है । इस संबंध में उन्होंने बताया कि न्यायालय के आदेश की प्रति अभी प्राप्त नहीं हुई है । मामला सिपाहियों से नोकझोंक का है । अधिवक्ता के प्रार्थनापत्र पर सीओ रेलवे जांच करने आए थे लेकिन वह उनके समक्ष उपस्थित नहीं हुए । मारपीट और लूटपाट का आरोप निराधार है।