डॉ. निशत अफजल,( कंटेंट राइटर और केका एचआर)
नई दिल्ली। बिजनेस जगत जितना आज के समय में फ्लेक्सिबल, और बदलावों को लेकर रिएक्ट कर रहा है वैसा शायद ही पहले कभी रहा होगा। भविष्य में ऐसा और अधिक होने की संभावना है। अगर इस प्रतियोगी समय में कोई फर्म खुद को बनाए रखना चाहती है तो उसे इन बदलावों को समझना होगा।
इस समय लोग कैसे रिएक्ट कर रहे हैं इस बात का भी काफी प्रभाव पड़ रहा है।
• काम की फ्लेक्सिबिलिटी
• कर्मचारियों की शारीरिक और मानसिक सेहत को प्राथमिकता देना
• कर्मचारियों के इंगेजमेंट पर ज्यादा ध्यान देना
• बर्न आउट से बचना
• बाजार में बने रहने के लिए तकनीकी टूल्स का प्रयोग करना
• टैलेंट पूल को शिफ्ट करना
• डी और आई के लिए रास्ता बनाना
• ट्रेनिंग के मौकों को ऑफर करना
यह सब 2021 में काफी गर्म मुद्दे थे। इनका महत्व अभी भी कम नहीं हुआ है लेकिन नई चुनौतियां भी आगे आ गई हैं।
2022 में अगर बिजनेस को पूरी तरह बदलना चाहते हैं तो इन इवेंट्स पर ध्यान जरूर दें:
डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन: बैलेंस को ढूंढें:
अब स्मार्ट का मतलब केवल स्मार्ट फोन, स्मार्ट टीवी या स्पीकर तक ही नहीं रह गया है। इसका मतलब एआई द्वारा लाई गई मशीन भी हैं जो इनोवेशन को प्रमोट करती है। डिजिटल जगत की पहल स्मार्ट फोन से हुई थी और उसके बाद स्मार्ट टॉयलेट लाइन में है जो केवल स्टूल सैंपल के आधार पर गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल दिक्कतों को पहचान कर बताएंगे। चौंक गए? यह तो केवल शुरुआत है। तकनीक और एआई ने हमारे साधारण जीवन की कई चीजों पर हक जमा लिया है। इसलिए बिजनेस में इनकॉरपोरेट टेक को लाना एक सद्बुद्धि का निर्णय होगा। चाहे अब इसमें एडमिन, लॉजिस्टिक्स, अकाउंटिंग, एचआर कोई भी डिपार्टमेंट हो, हर डिपार्टमेंट को एआई से काफी लाभ मिला है।
वर्चुअल वर्ल्ड जैसे मेटावर्स में प्रवेश करना:
हमने अभी से वर्चुअल जगत में चीजें खरीदना और बेचना शुरू कर दिया है। क्या कंफ्यूज हो गए? हम यहां मल्टी प्लेयर विडियो गेम की बात कर रहे हैं। यह कुछ लोगों के सोचने से भी ज्यादा तेजी से फैलने वाला है। यह धीरे धीरे हर व्यक्ति के रोजाना जीवन का हिस्सा बनने वाला है फिर चाहे वह असली जगत से जुड़ा हो या फिर वर्चुअल जगत से। यह बहुत से व्यक्तियों और संस्थाओं के लिए मौके पैदा करने वाला है। इन दिनों हेडलाइन बनने वाली डिजिटल करेंसी से लेकर, कर्मचारियों को नियुक्त करने, वर्चुअल प्रोटो टाइप क्रिएट करने से लेकर वर्चुअल एआर पावर्ड इवेंट टेक और एआई बहुत से क्षेत्रों में अपनी हिस्सेदारी दिखा रहे है जिसमें बड़े बड़े व्यवसाई भी इसका स्वागत करते नजर आ रहे है।
माइक्रो मॉनिटरिंग को छोड़ दें:
हो सकता है आपका दिल किसी काम के बारे में सोच रहा हो लेकिन अगर आप उसे कर नहीं रहे हैं तो उसका कोई फायदा नहीं है। काम कैसे करना है, क्या करना है, आउटपुट की गुणवत्ता क्या होगी पर ध्यान देना गलत नहीं है। लेकिन जब इस पर कंट्रोल करने और पावर दिखाने की बात आती है तो बहुत से लोगों के हाथ पैर फूल जाते हैं। अगर आपको कोई बार बार रिपोर्ट्स भेज देने को बोले और इसके बारे में बार बार याद भी दिलाता रहे, आपके काम में बार बार हस्तक्षेप करे तो आप अपना धैर्य और मोटिवेशन काफी जल्दी खो देंगे। इस प्रकार की माइक्रो मैनेजमेंट को बाहर का रास्ता दिखाने में ही भलाई है। कंपनी के बड़े लक्ष्यों पर फोकस करने के लिए माइक्रो मैनेजमेंट को छोड़ दें और कर्मचारियों पर ज्यादा पाबंदियां न लगाए।
परफॉर्मेंस और गोल सेटिंग:
माइक्रो मैनेजमेंट से किसी भी संस्था का अच्छा नहीं हुआ है। इसलिए काम के हकों को बांटना सीखें जैसे ऊपर बताया गया है। परफॉर्मेंस और गोल सेटिंग भी एक मुख्य भूमिका अदा करते हैं क्योंकि टारगेट्स को अपडेट और इवेलुएट करने का तरीका हमेशा के लिए बदल चुका है। एक योग्य और पर्याप्त एचआरएमएस न केवल हर परफॉर्मेंस ट्रैकिंग समस्या का हल करेगा बल्कि यह कर्मचारियों के चार्ट रिकॉर्ड भी पेश करने में मददगार रहने वाला है। इससे मैनेजर्स को यह पता चल सकेगा कि कर्मचारी असल में कहां और कब अटक रहे हैं। इससे समय से पहले ही कोई कदम उठा लिया जा सकेगा। भविष्य में कर्मचारियों को लम्बे लम्बे ईमेल लिखने और भेजने या फिर पूरी रात जाग कर कंपनी के लक्ष्य को समझने के लिए प्रेजेंटेशन बनाने की जरूरत महसूस नहीं होगी।
फंडिंग की नई फॉर्म:
कंपनी किन किन तरीकों के माध्यम से फंडिंग जेनरेट कर सकती है, वह तरीके भी बदल रहे हैं। नो ब्रेनर फंडिंग सिस्टम आगे आगे जरूरत में आने लगेंगे क्योंकि इनके जरिए कंपनी इक्विटी डाइल्यूट करने से भी बच सकेगी। नए मैकेनिज्म और प्लेटफार्म्स क्राउड फंडिंग, एसपीएसी, इनिशियल कॉइन ऑफरिंग, सब्सक्रिप्शन बेस्ड फाइनेंसिंग और टोकेनाइजेशन जैसी चीजों से ही इमर्ज होंगी। इससे कंपनी इन्वेस्टमेंट करने के बाद और उसे सुरक्षित करने के लिए चक्कर लगाने के बाद काम के झंझटों से बच सकेगी।
डॉ. निशत अफजल,