दीपक सोलंकी
फ़िरोज़ाबाद। दिगंबर जैन रत्नत्रय नसिया मंदिर में आचार्य विवेक सागर महाराज के ससंघ सानिध्य में पांच दिन से चल रहे पंचकल्याणक महोत्सव के अंतिम दिन शुक्रवार को मोक्ष कल्याणक महामहोत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया। इंद्र-इंद्राणी द्वारा अभिषेक, शांतिधारा, पूजन और हवन किया गया। उसके बाद एक भव्य गजरथ शोभायात्रा सेठ छदामीलाल जैन मंदिर से प्रारंभ होकर बाईपास रोड होते हुए कार्यक्रम स्थल पर पहुंची। शोभायात्रा का जगह-जगह स्वागत हुआ। वहीं प्रसाद वितरण किया गया। स्वर्ण रथ पर सवार श्रीजी का कार्यक्रम स्थल पर अभिषेक, शांतिधारा और पूजन करके नवीन वेदिका में विराजमान किया गया। आचार्य श्री ने अपनी मधुर वाणी में कहा कि अपन पढ़े लिखे है या अनुभवी हैं। कैसे हैं हम लोग? इन दोनो में बहुत बड़ा अंतर होता है। पढ़ा लिखा व्यक्ति तो केवल किताब को पढ़ता है। उसके जीवन में समझ और समझदारी दोनो का अभाव रहता है। अनुभवी में समझ और समझदारी ये दोनों चीजें मौजूद रहती हैं। वकालत करते हो तो किताब पढ़ कर ही नहीं कर सकते, वकालत भी अनुभव से चलेगी। किताबों को पढ़ने से नहीं, अनुभव से किया गया कार्य लंबे समय तक चलेगा। ऐसे ही धर्म है। धर्म केवल देखने और दिखाने से नहीं होता। श्रद्धा बहुत बड़ी शक्ति है यदि आपको श्रृद्धान है आपने श्रद्धा से अपने मंत्रों को अपने गुरुदेव को स्मरण किया है तो संकट नियम से नहीं आएगा। श्रद्धा की शक्ति पीछे से बहुत बड़ा काम करती है। जिसके अंतरंग में श्रद्धा का बीज अंकुरित नही हुआ तो वो कितने भी मंत्र पड़े सब बेकार है। श्रद्धा का बीज अपने अंदर अंकुरित करो और अपने आप में दृढसंकल्प लो कि अपने देव, शास्त्र, गुरु के प्रति श्रद्धा बनाके रखेंगे। श्रद्धा की शक्ति अपने आप प्राप्त हो जायेगी। कार्यक्रम का संचालन राहुल जैन इसौली ने किया। इस दौरान अशोक जैन अनुज जैन तुलसी बिहार, दीपक जैन, रोहित जैन डोल्सी, प्रिन्स जैन, सुधांशु जैन, प्रवीन जैन, अमित जैन, सुनील जैन, राहुल जैन एमआर, अजय जैन बजाज, राज जैन, राजेश जैन, राहुल जैन इसौली, चंद्रप्रकाश जैन, अभिषेक जैन कंप्यूटर एवं सकल जैन समाज आदि मौजूद रहे।