जकात को बनाया कारोबार, बना ली कोठियां -फर्जी रसीद छपवाकर रमजान माह में चंदा इकट्ठा कर रहें तथाकथित लोग

लियाकत मंसूरी

मेरठ। इस्लाम धर्म के पांच मूल स्तंभों में से एक ‘जकात’ माना जाता है। हर मुस्लमान को अपने धन में से जकात की अदायगी जरूरी है। यह दान धर्म नहीं बल्कि, धार्मिक कर या टैक्स माना जाता है और फर्ज भी है। शरीयत में जकात उस माल को कहते हैं, जिसे इंसान अल्लाह के दिए हुए माल में से उसके हकदारों के लिए निकालता है। लेकिन कुछ तथाकथित लोगों ने जकात को कारोबार बना लिया है। फर्जी रसीद बुक छपवाकर मदरसों में बच्चों की तालीम के नाम पर जकात इकट्ठा किया जा रहा है। रमजान माह में ऐसे तथाकथित लोगों की बाढ़ सी आ गई है। हमदर्दाना-ए-मिल्लत व ईमाम मसाजिद एसोसिएशन इंडिया की ओर से शहर की तमाम मस्जिदों में पम्पलेट चिपकाए गए हैं। बताया गया है, इन तथाकथित लोगों ने जकात इकट्ठा करके कोठियां बनवा ली है, प्लॉट खरीद लिए है। जिन बच्चों के नाम पर जकात लिया जा रहा है, वे फटे पुराने कपड़ों में रहते हैं। रमजान में इनसे होशियार रहने की अपील की गई है। शफीक अलवी, करीम सैफी, हसीन अलवी, अलीम गाजी, शोएब मलिक, मोहसिन अंसारी, खालिद कुरैशी की ओर से ये अपील की गई है। बाकायदा शहर की सभी मस्जिदों में पम्पलेट चिपकाए गए है। जिनमें बताया गया है, तथाकथित लोग मस्जिदों में आकर जकात ले रहे हैं, मदरसों के नाम फर्जी रसीद बुक छपवा रखी है, बच्चों की तालीम के नाम पर लोगों से चंदा इकट्ठा कर रहे हैं। मदरसों में बच्चों की संख्या सैकड़ों में दिखाते हैं, जबकि मदरसों में कुछ ही बच्चे होते हैं। शिक्षकों की संख्या भी अधिक बताते हैं। बिरादरीवाद फैलान का आरोप आरोप है, जकात वसूलने वालों ने अपने घरों को कोठियों में तब्दील कर दिया है, प्लॉट खरीद लिए हैं। कई-कई वाहन खरीद लिए है, जबकि जिन बच्चों के नाम पर ये जकात ली जा रही है, वे नीचे जमीन पर सोते हैं और फटे पुराने कपड़े पहनते हैं। कुछ फर्जी मौलवियों का जिक्र भी पम्पलेट में किया गया है। कहा गया है, बिरादरीवाद भी इन्हीं फर्जी मौलवियों ने फैला रखा है, ताकि बिरादरीवाद के नाम पर ज्यादा चंदा इकट्ठा किया जा सके। ईमानदार मदरसों को चंदा देने की अपील आरोप लगाया, कुछ मौलाना मुस्लिमों को गुमराह करने का काम कर रहे हैं। शरीयत के खिलाफ खुद काम करते हैं और दूसरों को नसीहत करते हैं, ऐसे लोगों से हमें सावधान रहने की जरूरत है। पम्पलेट में जो मदरसे ईमानदारी से काम कर रहे हैं, उनकी तारीफ भी की गई है। जिन मदरसों से बच्चे आलिम बनकर निकल रहे हैं, उनकी मदद करने की भी अपील की गई है। इनका कहना है ुइस बारे में नायब शहर काजी जैनुल राशिद्दीन का कहना है, उनकी जानकारी में आया कि कुछ तथाकथित लोग फर्जी रसीदें छपवाकर मदरसों के नाम पर चंदा इकट्ठा कर रहे हैं। अब रमजान माह चल रहा है तो यही लोग जकात व फितरे का पैसा भी लोगों से ले रहे हैं। उन्होंने अपील की कि हमें ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है।

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