भास्कर समाचार सेवा
इटावा। एक बार टीबी का उपचार शुरू करने के बाद बीच दवा छोड़ने पर होने वाली मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट टीबी (एमडीआर) के मरीजों को भी अब चार माह तक लगातार इंजेक्शन लगवाने की पीड़ा से मुक्ति मिलेगी |मल्टीड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी मरीजों के इलाज को बेहतर बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा रोगियों को इंजेक्शन आधारित रेजीमेंन पर नहीं रखा जाएगा।अब उनका इलाज शार्टर ओरल बीड़ाकुलीन कंटेनिंग रेजीमेंन’ दवा से किया जाएगा। यह जानकारी जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ शिवचरण हैंब्रम ने दी। उन्होंने बताया कि वर्तमान जनपद में 92 एमडीआर मरीजों का इलाज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 4 से 6 महीने तक प्रतिदिन लगने वाले इंजेक्शन की तकलीफ से अक्सर मरीज मानसिक रूप से इलाज के प्रति उदासीन हो जाते थे और कभी कभी बीच में ही इलाज छोड़ देते थे। उन्होंने बताया सामुदायिक रूप से यह भी देखा गया कि कुछ लोगों में इंजेक्शन के प्रति एक फोबिया होता है जिससे एमडीआर रोगी का इलाज बाधित होता है। इसलिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक बेहतर पहल की गई है जिसमें एमडीआर रोगियों का इलाज शार्टर ओरल बीड़ाकुलीन कंटेनिंग रेजीमेंन दवा से किया जाएगा।
डॉ शिवचरण ने बताया कि टीबी से ग्रस्त मरीज यदि इलाज में देरी करें और दवा का कोर्स पूरा न करें तो उसे एमडीआर टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है इसलिए टीबी जैसे लक्षण दिखने पर अपने घर के पास के स्वास्थ्य केंद्र जाकर निशुल्क टीबी जांच अवश्य कराएं। टीबी से ग्रस्त होने पर बिल्कुल न घबराए जिला अस्पताल या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर चिकित्सीय परामर्श लें साथ ही निशुल्क दवाओं का सेवन करते हुए अपने कोर्स को पूरा अवश्य करें। क्षय रोग विभाग जिला समन्वयक कंचन तिवारी ने बताया कि वर्तमान में जनपद में दवा आधारित रेजीमेंन पर किसी भी मरीज का इलाज नहीं चल रहा है। उन्होंने बताया 25 अप्रैल के बाद जो भी एमडीआर मरीज चिन्हित किए जाएंगे उनको बीड़ाकुलीन कंटेनिंग रेजिमेंन दवा दी जाएगी और आगे मिलने वाले एमडीआर रोगियों का इंजेक्शन से उपचार नहीं किया जाएगा उन्हें सिर्फ दवा से ही स्वस्थ किया जाएगा। उन्होंने बताया जिन एमडीआर मरीजों का इंजेक्शन रेजीमेंन आधारित इलाज हो रहा था उनका इलाज उसी आधार पर निरंतर चलता रहेगा। उन्होंने बताया जनपद में इस समय 1430 टीबी से ग्रस्त मरीज हैं। जिसमें 92 एमडीआर टीबी मरीज हैं सभी मरीजों का इलाज निशुल्क हो रहा है साथ में उन्हें निक्षय पोषण योजना के तहत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ₹500 पोषण राशि भी प्रदान की जा रही है।
क्या है एमडीआर टीबी?
एमडीआर टी.बी माइक्रोबैक्टीरियम नामक जीवाणु से होता है। इस बैक्टीरिया के कारण शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर हो जाती है। इससे टीबी के इलाज के लिए शुरुआती दौर में दी जाने वाली दवाओं का असर रोगी पर होना बंद हो जाता है। जिससे मरीज की समस्याएं बढ़ जाती हैं,और सही इलाज न मिलने पर मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।