महंगाई की मार : अब बैंकों से लोन लेना होगा महंगा

 रिजर्व बैंक ने रेपो रेट 0.40 फीसदी से बढ़ाकर 4.40 फीसदी किया

आरबीआई ने सीआरआर दर में भी 0.50 फीसदी का किया इजाफा

नई दिल्ली/मुंबई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने एक बड़ा फैसला लेते हुए नीतिगत ब्याज दरों में इजाफा किया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को रेपो रेट में 0.40 फीसदी और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) दर में 0.50 फीसदी बढ़ोत्तरी करने का ऐलान किया। इस बढ़ोत्तरी के बाद रेपो रेट बढ़कर 4.40 फीसदी और सीआरआर दर 4.5 फीसदी हो गया है।

आरबीआई गवर्नर दास ने यहां आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में रेपो रेट में तत्काल प्रभाव से 0.40 फीसदी बढ़ोत्तरी करने का ऐलान किया। दास ने कहा कि कमोडिटीज और वित्तीय बाजारों में जोखिम और बढ़ती अस्थिरता की वजह से यह फैसला लिया जा रहा है। रेपो रेट में इस बढ़ोत्तरी से आने वाले दिनों में होम लोन, कार लोन और लोन की ईएमआई में इजाफा हो सकता है।

बिना तय कार्यक्रम के रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक आज आयोजित की गई। इस बैठक के बाद रिजर्व बैंक गवर्नर ने रेपो रेट और सीआरआर दर बढ़ाने का ऐलान किया। शक्तिकांत दास ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) दर 0.50 फीसदी बढ़ाकर 4.5 फीसदी करने की घोषणा की है, जो 21 मई, 2022 से प्रभावी होगी। इससे बैंकों में 87 हजार करोड़ रुपये की नकदी कम होगी।

दास ने आगे कहा कि बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए इस तरह का फैसला लिया गया है। उन्होंने बताया कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने तत्काल प्रभाव से रेपो रेट में 0.40 फीसदी वृद्धि और सीआरआर दर में फीसदी इजाफा करने के लिए सर्वसम्मति से मतदान किया है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मार्च 2022 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) अधारित महंगाई दर में 7 फीसदी की तेजी खाद्य महंगाई से प्रेरित थी, जबकि मार्च में 12 में से 9 खाद्य उपसमूहों के महंगाई में वृद्धि दर्ज़ की गई।

आरबीआई गवर्नर ने बताया कि कमोडिटीज और वित्तीय बाजारों में जोखिम और बढ़ती अस्थिरता के कारण ये फैसला लिया जा रहा है। रेपो रेट जब बढ़ता है, तो बैंक ब्याज दरों को बढ़ाते हैं। इसका मतलब ये है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण ग्राहक के लिए कर्ज और ईएमआई दर बढ़ जाता है। सीआरआर से आशय बैंक की उस जमा से है, जिसे बैंकों को नकदी के तौर पर केंद्रीय बैंक के पास रखने की जरूरत होती है।

आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक में प्रमुख नीतिगत दर रेपो रेट में लगातार 11वीं बार फेरबदल नहीं किया था। आरबीआई ने इसे 4 फीसदी के निचले स्तर पर कायम रखा था। रिजर्व बैंक ने आखिरी बार मई 2020 में रेपो रेट पर में बदलाव किया था, जब कोरोना महामारी की पहली लहर और लॉकडाउन का दौर था।

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