नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश और सूबे की सरकारी खनन नीति के विपरीत जालौन जिले की तत्कालीन डीएम बी. चंद्रकला ने खनन से संबंधित कई फाइलों को आगे बढ़ाया। साथ ही तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रजापति ने खनन से जुड़े आठ लीज के मामलों को स्वीकृति दी। अखिलेश यादव के विभागीय मंत्री रहते मंत्रालय ने 14 खनन लीज मामलों को आगे बढ़ाया।
इन सभी मामलों में नियमों की अनदेखी किये जाने पर अब सीबीआई ने शिकंजा कस दिया है। दरअसल, इलाहाबाद हाइकोर्ट ने 29 जनवरी, 2013 को माइनिंग की लीज के लिए प्रदेश सरकार को नए तरीके से ई-टेंडरिंग करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के आदेश में साफ है कि पहले के आवेदनों या स्वीकृत लीज को रद्द करके नए सिरे से ई-टेंडरिंग के माध्यम से दोबारा आवेदन लिये जाएं लेकिन सरकार ने सभी 22 पट्टे बिना ई-टेंडरिंग के ही लोगों को दिए। ]
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक
जिन 14 खनन पट्टों को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था, उन्हें अखिलेश यादव ने खनन मंत्री रहते हुए स्वीकृत किया। 17 फरवरी, 2013 को मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद हमीरपुर की तत्कालीन डीएम बी. चंद्रकला ने खनन के पट्टे दे दिए। इन मामलों में भी ई-टेंडरिंग का सहारा नहीं लिया गया। इन सभी लीज के मामलों में पांच लाख रुपये से अधिक की राशि शामिल थी।
उधर, ई-टेंडरिंग की पॉलिसी राज्य सरकार ने 2012 में अपनाई थी। बाद में हाईकोर्ट द्वारा इसे मंजूरी देने के महज 18 दिनों बाद ही अखिलेश यादव ने निर्देश का उल्लंघन करते हुए पट्टों को मंजूरी दे दी। इसी तरह नियमों का उल्लंघन करके तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रजापति ने भी 8 पट्टे दिये थे। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक अब सीबीआई अखिलेश यादव व गायत्री प्रजापति से पूछताछ की तैयारी कर रही है।













