सामान्य वर्ग के आर्थिक दृष्टि से कमजोर तबके के लोगों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 10 प्रतिशत तक आरक्षण देने संबंधी ऐतिहासिक संविधान (संशोधन) विधेयक लोकसभा से भारी बहुमत से पारित हो गया। विधेयक के पक्ष में 323 और विरोध में 3 मत पड़े थे. आज राज सभा में सवर्ण आरक्षण बिल पेश किया गया है.
राज्यसभा में इस विधेयक के पारित हो जाने और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएगा लेकिन राज्यसभा में इस विधयेक के पारित होने की राह आसान नहीं है। राज्यसभा में एनडीए को बहुमत नहीं है और उसे यहां विपक्ष के सहयोग की जरूरत पड़ेगी।
लोकसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस पार्टी इसे चयन समिति के पास भेजने की मांग की थी ऐसे में वह अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर विधेयक के पारित होने की राह में रोड़ा अटका सकती है। बता दें कि संविधान संशोधन के लिए सदन के आधे से ज्यादा सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य होती है। इसके अलावा विधेयक को दो तिहाई समर्थन से पास होना जरूरी होता है। राज्यसभा में सदस्यों की संख्या 245 है। ऐसे में सदन में कम से कम 123 सदस्यों की मौजूदगी अनिवार्य होगी। राज्यसभा में भाजपा की संख्या 73 और और एनडीए की संख्या 89 के करीब है। ऐसे में उसे विधेयक को पारित कराने के लिए विपक्ष के सहयोग की जरूरत पड़ेगी।
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राज्यसभा की कार्यवाही का सत्र एक दिन और बढ़ाए जाने पर विपक्ष ने नाराजगी जाहिर की है। विपक्ष का कहना है कि सरकार बिना सलाह-मशविरा के उच्च सदन का सत्र बढ़ाया है। इसे लेकर सदन में विपक्ष का शोर-शराबा जारी है।
Uproar in Rajya Sabha as opposition objects to extension of House session. pic.twitter.com/j1gH8Y6d75
— ANI (@ANI) January 9, 2019
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि देश उम्मीद करता है कि सदन चलेगा। सामान्य दिनों की तरह हमें सदन में काम करना चाहिए था लेकिन सदन की कार्यवाही स्थगित हुई। विधयकों पर चर्चा के लिए आज अतिरिक्त दिन है।
Arun Jaitley in Rajya Sabha: The country expects the House to function. As per normal working days, we should have been working, on most of them the House stood adjourned. There is one extra day to consider legislations. pic.twitter.com/ATQWHxDs5T
— ANI (@ANI) January 9, 2019
राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने सदन में गतिरोध बनने के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया। राज्यभा में विपक्ष के नेता आनंद शर्मा ने कहा कि सदन चलाने की पहली जिम्मेदारा सरकार की होती है। किसी भी मुद्दे पर सहमति बनाने के लिए सरकार को सभी राजनीतिक दलों से बातचीत करनी चाहिए। शर्मा ने कहा कि स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि सरकार और विपक्ष में संवादहीनता की स्थिति आ गई है।
Anand Sharma,Congress in Rajya Sabha:The way the House proceedings were extended without the consent of the opposition parties was not right. The situation now is such that there is no dialouge b/w opposition& govt. The govt is foremost responsible if the House doesn't function. pic.twitter.com/z3T4PjX38n
— ANI (@ANI) January 9, 2019