यूपी में मोदी-शाह को चुनौती : क्या 74 पर बुआ-बबुआ का 38-38 पड़ेगा भारी ? एक क्लिक में जानिए..

कांग्रेस के साथ जाने से किया परहेज लेकिन राहुल और सोनिया को लेकर दिखाई नरमी

-भाजपा ने कहा, यह मतदाताओं को धोखा देने का प्रयास, कांग्रेस ने दी सधी प्रतिक्रिया

-तेजस्वी ने कहा, यह उप्र और बिहार में भाजपा की हार की शुरुआत है

आखिरकार मोदी फोबिया से ग्रसित उत्तर प्रदेश के विपक्षी दलों में प्रमुख सपा और बसपा ने आज गठबंधन का ऐलान कर दिया। इस साल लोकसभा के लिए बसपा प्रमुख मायावती और सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में एक साथ मिलकर 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ने और नरेन्द्र मोदी तथा भाजपा को हराने का ऐलान किया।

हालांकि चुनाव नतीजों के बाद मायावती को प्रधानमंत्री बनने का यदि मौका मिलेगा तो क्‍या सपा समर्थन देगी? इस सवाल को अखिलेश यादव मुस्‍कुराकर टाल गए। अखिलेश ने इशारों-इशारों में कहा कि आपको पता है कि मैं किसको सपोर्ट करूंगा। साथ ही उन्‍होंने यह जोर देते हुए कहा कि आपको मालूम होना चाहिए कि उत्‍तर प्रदेश ने हमेशा से देश को प्रधानमंत्री दिए हैं और आगे भी देता रहेगा। इसमें हम समाजवादी लोग सक्रिय भूमिका निभाएंगें।

मायावती-अखि‍लेश ने लंबे समय के लिए मिलाया हाथ

उत्‍तर प्रदेश की दो प्रमुख पार्टियों ने आज 26 साल बाद एक बार फिर हाथ मिला लिया है। दोनों ही नेता अपने-अपने दल के प्रमुख के साथ-साथ प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री भी हैं। 2019 लोकसभा चुनाव के लिए एक तरह से तैयारी का आगाज करते हुए दोनों दलों के नेताओं ने सीट बंटवारे का ऐलान एक संयुक्‍त प्रेस कांफ्रेस में किया। एक सवाल के जवाब में जहां मायावती मोदी पर हमलावर रहीं वहीं अखिलेश ने सूबे के मुख्यमंत्री योगी को आड़े हाथों लिया। इससे साफ जाहिर होता है कि लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के बाद दोनों नेताओं की क्‍या भूमिका होगी। मायावती ने जहां केंद्र की राजनीति में सार्थक योगदान की बात की वहीं अखिलेश प्रदेश में अपने काे ज्‍यादा सक्रिय दिखने की बात कही।

उप्र में 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी सपा-बसपा

दोनों नेताओं ने लखनऊ में इस गठबंधन और सीट बंटवारे का ऐलान संयुक्‍त प्रेस कांफ्रेस में किया। उत्‍तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से सपा और बसपा 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। भले ही इस गठबंधन में सपा-बसपा ने कांग्रेस को शामिल नहीं किया लेकिन अमेठी (राहुल गांधी की सीट) और रायबरेली (सोनिया गांधी की सीट) को कांग्रेस से गठबंधन किए बिना ही उसके लिए छोड़ दिया है ताकि भाजपा के लोग कांग्रेस अध्यक्ष को यहीं उलझाकर ना रख सकें। बाकी बची दो सीटों पर अन्य पार्टियों को मौका देने के लिए छोड़ दिया है।

क्‍या अखिलेश मौका आने पर माया को बतौर प्रधानमंत्री उम्मीदवार सपोर्ट करेंगे

गठबंधन के ऐलान के वक्‍त प्रेस कांफ्रेस में जब अखिलेश यादव यह सवाल पूछा गया कि क्‍या मौका आने पर बतौर प्रधानमंत्री कैंडिडेट माया को आप समर्थन देंगे? इस पर अखिलेश ने साफ-साफ जवाब नहीं दिया। उन्‍होंने कहा कि आपको पता है कि मैं किसे सपोर्ट करूंगा। अखिलेश ने कहा कि उत्‍तर प्रदेश ने हमेशा प्रधानमंत्री दिया है। आगे भी ऐसा ही होगा। इस सवाल-जवाब के दौरान मायावती मुस्कुराती रहीं। अखिलेश ने इस अवसर पर अपने कार्यकर्ताओं को संदेश दिया कि सपा का हर कार्यकर्ता आज से यह मान ले कि मायावती जी का सम्‍मान, मेरा सम्‍मान है। अगर कोई भाजपा का नेता मायावती जी का अपमान करता है तो वह मेरा अपमान माना जाए।

26 साल बाद दोबारा गठबंधन, मायावती ने कहा- लंबा चलेगा

लंबे इंतजार के बाद आखिरकार 26 साल बाद सपा-बसपा के बीच में गठबंधन हुआ है। वर्ष 1993 में भी दोनों दल साथ आए थे। दो साल सरकार भी चली, लेकिन दो जून 1995 को बसपा के समर्थन वापसी के बाद मुलायम सरकार गिर गयी। उसी दिन गेस्ट हाउस कांड भी हुआ था। उस समय लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस के कमरा नम्बर-एक में मायावती ठहरी हुई थीं। सपा समर्थकों ने यहीं पर मायावती और बसपा विधायकों से मारपीट की थी। इस घटना पर सवाल के जवाब में मायावती ने कहा कि गेस्ट हाउस कांड को किनारे करके देशहित और जनहित में हम सपा से गठबंधन कर रहे हैं। इस बार यह गठबंधन लंबा चलेगा। जब उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव होंगे, तब भी यह गठबंधन कायम रहेगा। कांग्रेस के गठबंधन में शामिल नहीं होने पर मायावती ने कहा कि उससे गठबंधन करके हमें फायदा नहीं मिलता बल्कि कांग्रेस को हमारे वोट ट्रांसफर हो जाते हैं और हमारा वोट प्रतिशत घट जाता है।

उत्तर प्रदेश : 2014 के लोकसभा चुनाव की स्थिति

– कुल सीटें : 80 पार्टी सीटें वोट शेयर

भाजपा+ 73 42.63 प्रतिशत

सपा 05 22.35 प्रतिशत

बसपा 00 19.8 प्रतिशत

कांग्रेस 02 7.5 प्रतिशत

मायावती और अखिलेश यादव द्वारा संयुक्त रूप से आज इस तालमेल का ऐलान करने के बाद अन्य दलों में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। दिल्ली के रामलीला मैदान में भाजपा की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सपा-बसपा गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि आज वे दल एकजुट हो रहे हैं, जो कभी कांग्रेस के तौर तरीकों को सही नहीं मानते थे। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता जमानत पर हैं, तब ये दल कांग्रेस के सामने सरेंडर कर रहे हैं। ये देश के मतदाताओं को धोखा देने का प्रयास है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि चाहे गठबंधन हो या महागठबंधन, हम 2014 से बेहतर प्रदर्शन करेंगे। योगी ने कहा कि जो पहले एक-दूसरे को फूटी आंख नहीं देखते थे, आज साथ आ रहे हैं। ऐसे में भाजपा के खिलाफ इस तरह का कोई भी गठबंधन या महागठबंधन अराजकता और राजनीतिक अस्थिरता ही लाएगा। राज्यसभा सांसद अमर सिंह ने कहा कि समाजवादी पार्टी के संस्थापक हमेशा मुलायम सिंह जी रहेंगे। इस कदम के साथ ही वह पूरी तरह अलग हो गए हैं। बैनर पर मुलायम, अखिलेश और मायावती साथ नहीं रह सकते हैं। ये केवल अखिलेश और मायावती ही होंगे, ‘बुआ और बबुआ’।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुंधाशु त्रिवेदी ने कहा कि दोनों पार्टियां अपनी राजनीतिक जमीन बचाने के लिए साथ लड़ रही हैं। इन पार्टियों ने अतीत में एक-दूसरे पर हत्या का आरोप लगाया है। वैसे ये उनकी पसंद है। हम आश्वस्त हैं। अगर सभी पार्टियां एक साथ आती हैं तब भी हम जीतेंगे। कांग्रेस नेता एवं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि आज पूरे देश में गठबंधन की जरूरत है। भाजपा को 2014 के चुनाव में मात्र 31% वोट मिले और उन्होंने दावा किया कि ये जनमत है, ऐसा वोटों की बंटवारे की वजह से हुआ था। बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी यादव ने गठबंधन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे बिहार और उत्तर प्रदेश में भाजपा की हार की शुरुआत बताया है।

प्रधानमंत्री उम्मीदवार पर कन्नी काट गए अखिलेश

लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजनीति में करीब 25 साल बाद समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में हुये गठबन्धन के बावजूद प्रधानमंत्री उम्मीदवार पर कोई बात नहीं हुई। मायावती और अखिलेश यादव से शनिवार को हुये संवाददाता सम्मेलन में पूछा गया था कि गठबन्धन में प्रधानमंत्री पद का कौन उम्मीदवार होगा। इस पर अखिलेश खूबसूरती से इस सवाल का जवाब देने से कन्नी काट गये। हालांकि उन्होंने किसी का नाम लिये बगैर कहा कि वह चाहते हैं कि प्रधानमंत्री यूपी से ही हो। प्रेस कान्फ्रेंस में मायावती ने अ​खिलेश यादव के चाचा और सपा से बगावत कर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया बनाने वाले शिवपाल को भी निशाना बनाया। बसपा अध्यक्ष ने कहा कि शिवपाल ने भाजपा के इशारे पर पार्टी बनायी लेकिन गठबन्धन के आगे उनकी एक नहीं चलेगी। भाजपा के साथ वह भी उड़ जायेंगे। मायावती के यह कहने के दौरान बगल में बैठे श्री यादव मुस्कराते रहे।

सपा और बसपा के गठबंधन का फैसला आखिरी नहीं-पी.चिदंबरम

वाराणसी। पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता पी.चिदंबरम ने कहा कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन का फैसला आखिरी नहीं है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आयेगा वैसे-वैसे और गठबंधन सामने आयेंगे। इस समय हमारा सबसे अह्म मुद्दा है भारतीय जनता पार्टी को हराना। चिदंबरम शनिवार को पार्टी की ओर से महमूरगंज स्थित मोतीझील में प्रबुद्धजनों से लगभग तीन घंटे तक संवाद करने के बाद मीडिया से मुखातिब थे। उन्होंने केन्द्र सरकार पर निशाना साध कहा कि भाजपा को हराने के लिए सभी धर्मनिरपेक्ष और उदार (लिबरल) पार्टिया एकसाथ आई हैं। सपा बसपा के गठबंधन से जुड़े सवाल पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि इन्हें उत्तर प्रदेश में कमतर नहीं आंकना चाहिए। जहां तक कांग्रेस को गठबंधन में जगह नहीं मिलने की बात है तो कोई बात नहीं, पार्टी यूपी में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी।

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