रामपुर पहुंचे आजम खान ने किया अदालतों का शुक्रिया

आज़म को देखने के लिए पहुंची हजारों की भीड़

चप्पे-चप्पे पर तैनात रहा पुलिस प्रशासन

आजम खान ने किया समर्थकों को संबोधित

भास्कर समाचार सेवा
रामपुर। शहर के विधायक और पूर्व मंत्री आजम खान 26 महीने 24 दिन बाद अपने गृह जनपद रामपुर पहुंचे। आजम खान रामपुर अपने आवास टंकी नंबर 5 पर एक बड़े काफिले के साथ पहुंचे। इस दौरान कई घंटे पहले से ही उनके समर्थक और चाहने वाले हजारों लोग इंतजार कर रहे थे। आजम खान के पहुंचने पर समर्थकों ने उनका जोरदार स्वागत किया। इस दौरान आजम खान को देखने वालों का तांता लगा रहा है।
घर के बाहर मुमताज पार्क किनारे आजम खान ने लोगों को संबोधित किया। आजम खान ने कहा कि जुल्म और जालिम की मुद्दत अधिक नहीं होती है। तारीख गवाह है जब जुल्म खत्म होता है, तो जालिम भी खत्म होता है।
आजम खान ने कहा कि शिक्षा के मंदिर के रूप में हमने यूनिवर्सिटी का पौधा लगाया। कहा कि दुश्मनों को सद्बुद्धि दे ईश्वर।
उन्होंने कहा कि हमने यह गलियां साढ़े तीन साल बाद देखीं हैं। हम जिंदा खड़े हैं यह एक मोअजजा आश्चर्य है, क्योंकि जहां हमें रखा था, वहां अंग्रेजों के जमाने की कालकोठरी है। जहां अगले दिन बाद फांसी दे दी जाती थी। हमारे बराबर में फांसी घर भी था। बीवी बच्चों के आने के बाद सुबह होती थी तो शाम का ख्याल और रात होती थी तो सुबह का ख्याल होता था। हमारे आपके बीच जो रिश्ते हैं उनमें जुदाई का ख्याल भी नहीं था। जब बहुत छोटे थे तो इमरजेंसी लग गई थी और अलीगढ़ में यूनियन के सेक्रेटरी थे, तब भी हमें गिरफ्तार होना पड़ा था। पौने दो साल बनारस की जेल काटी थी, जब जिंदगी की शुरुआत थी। हमारा 40 साल के सफर में कुर्बानी बेकार नहीं जाएगी।
जिन पेड़ों को यह समझा जा रहा है के यह सूख गए हैं। तुम्हारे खून पसीने की कसम इन दरखतों में नई कोपलें निकलेंगी। इन दरख्तों में नई बाहर आएंगी। हम तो नहीं होंगे लेकिन हमारी नस्ले शिक्षा के मंदिर की बहुत बड़ी शक्ल देखेंगे। याद रखो तारीख को तोड़ा मरोड़ा जा सकता है, लेकिन तारीख को मिटाया नहीं जा सकता।
मेरे साथ, मेरे घर के साथ, मेरे खानदान के साथ, मेरे शहर और मेरे जिले के साथ जो कुछ हुआ उसे आने वाली नस्लें बर्बादी की यह तारीख पढ़ कर रोया करेंगी।
जब उन्हें यह मालूम होगा कि कैसे चमन उजाड़े जाते हैं। यह चमन सिर्फ इसलिए उजाड़ दिया गया कि यहां तुम्हारी आबादी और गिनती ज्यादा है। अगर तुम इस अहसास को महसूस नहीं करोगे तो हमारे जैसे लोग कितने आएंगे और मायूस होकर चले जाएंगे। तुम्हारे मुकद्दर के संभालने वाले थक जाएंगे। उन्हें थकने मत देना।
जब आप मिलने आते थे तो हम कहते थे कि जिंदा आएंगे तो गाज़ी कहलाएंगे और जनाजा जाएगा तो शहीद कहलाएंगे। तुम्हारे बीच जिंदा आ गए हैं, यह एक आश्चर्य है। उन्होंने कहा कि कुछ दिन के लिए आपसे जुदाई चाहते हैं सेहत की वजह से।
आज शुक्रिया अदा करेंगे उन इंसाफ करने वालों का जिन्होंने यह साबित किया कि अभी इंसाफ का जमीर जिंदा है। आजम खान ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान जज साहब से कहा था कि जज साहब ऊपर वाले ने अपनी शक्तियों देकर आपको इस कुर्सी पर बैठाया है। इसलिए इंसाफ करना हमारी कम और आपकी ज्यादा जरूरत है। हमारे हक में एक फैसला भी ऐसा नहीं है, जो इंडियन जुडिशरी की तारीफ ना करें । इसीलिए इसीलिए मैं कहता हूं की सुप्रीम कोर्ट ने, हाईकोर्ट ने विधाता की दी हुई ताकत को इंसाफ के तराजू पर पूरा तौल कर साबित किया कि कायनात के मालिक तूने जो हमें जिम्मेदारी दी थी उसमें ना हमने मजहब देखा, ना धर्म देखा, ना हिंदू, ना मुसलमान देखा और ना मुझ जैसा नादार गरीब देखा। हमें अदालतों का शुक्रगुजार होना है। इंसाफ मिला है उसके लिए शुक्रगुजार होना है।
आजम खान की रामपुर पहुंचने पर जिले की पुलिस हाई अलर्ट पर रही और आजम खान के घर से लेकर विभिन्न सार्वजनिक चौराहों पर बड़ी संख्या में पुलिस मौजूद रही और कड़ी निगरानी इंतजाम किए गए। आजम खान जिला रामपुर अपने बेटे अब्दुल्ला आजम और अदीब आजम पत्नी डॉ तजीन फातिमा व अन्य परिजन व समर्थकों के भारी काफिले के साथ अपने आवास पर पहुंचे और चाहने वालों और समर्थकों से मुलाकात की।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

हिमाचल में तबाही, लापता मजदूरों की तलाश जारी न हम डरे हैं और न यहां से जाएंगे एयर इंडिया विमान हादसे पर पीएम मोदी की समीक्षा बैठक क्या बेहतर – नौकरी या फिर बिजनेस पेट्स के साथ डेजी का डे आउट