भास्कर समाचार सेवा
मथुरा (वृंदावन)। साढ़े तेरह करोड़ नामजप महोत्सव में देश के विभिन्न प्रान्तों से आये रसिक भक्तो ने जमकर भक्ति रसधारा में गोते लगाये। अंतिम दिवस संत विद्वतजनों का अभिनन्दन किया गया। सुनरख मार्ग स्थित हरेकृष्ण ऑर्चिड के सभागार में श्री प्रियाप्रियतम धाम के तत्वावधान में आयोजित सप्त दिवसीय नामजप महोत्सव में आध्यात्म व संस्कृति की अद्भुत धारा प्रवाहित हुई। जहां एक तरफ देश के विभिन्न प्रान्तों से आये रसिक भक्तो का समभाव समागम, वही दूसरी ओर सांस्कृतिक अनुष्ठानों की अविरल श्रंखला,जिसमे भक्तो ने जमकर गोते लगाये। अंतिम दिवस हरेराम हरेकृष्ण की मधुर ध्वनि पर झूमते श्रद्धालु वातावरण को आध्यात्मिक स्वरूप प्रदान कर रहे थे। सांयकाल सन्त लीला रसिक महाराज ने भक्तो को नामजप की महत्ता बताते हुए कहा कि इस कलिकाल में केवल नामजप से भवसागर पार हो सकता है। हमारे ऋषिमुनियों ने कलियुग में संकीर्तन को प्रभुभक्ति का सबसे सुलभ मार्ग बताया है। हम सभी को तीर्थनगरी वृंदावन से यह संकल्प लेना होगा कि हम इसे अपने जीवन का अंग बनाये। हमे यह आत्मसात करना होगा। भाव पूर्वक किया गया संकीर्तन जीवन के सभी कष्टों को हरने वाला है। कृष्णकिंकर ने सन्त विद्वतजनों का अभिनन्दन किया। आभार समन्वयक अनूप शर्मा द्वारा व्यक्त किया गया।