– प्रशासन व आबकारी विभाग के अफसर बने मूकदर्शक
– शराब माफिया पहुंचा रहे सरकारी खजाने को चोट
गोपाल त्रिपाठी
गोरखपुर। सरकार को राजस्व का नुकसान होता है इससे प्रशासन के अफसरों का कोई लेना देना नहीं है। बस खुद की जेब हमेशा भरती रहनी चाहिए।
जी, हां गोरखपुर जनपद में गैर प्रांतों वाली शराब बिकवाने वाले माफियाओं को अधिकारियों का खुला संरक्षण है। गुटका और शराब से सरकार के खजाने में राजस्व मिलता है। बशर्ते अधिकृत शराब बिक्रेता अपने प्रदेश की निर्मित शराब को बेचे।
यहां शराब की कीमत अन्य प्रांतों की अपेक्षा अधिक होती है जिसके चलते ग्रामीण अंचल के शराब के शौकीनों को गैर प्रांतों के सस्ते शराब मुहैया कराई जा रही है। शराब माफिया हरियाणा, मध्य प्रदेश तथा अरुणांचल प्रदेश की सस्ती शराब मंगवाकर उत्तर प्रदेश का रैपर लगा कर शराब बेच रहे हैं। अवैध शराब कारोबार में लिप्त शराब माफियाओं के करतूर की जानकारी प्रशासन या आबकारी विभाग को बखूबी है, फिर भी वे मौन साधे हुए हैं।
लोकल स्तर पर बदली जा रहे ढक्कन व रैपर
जनपद में कई स्थानों पर देशी शराब के बोतलों की पैकिंग की जा रही है। रैपर व ढक्कन की खेप बदस्तूर जारी है। शहरी क्षेत्र की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रो को शराब माफिया इस काम के लिए काफी सुरक्षित मानते हैं।
स्प्रिट रिफाइन कर तैयार की जा रही शराब
शराब माफिया पूर्वांचल में स्थापित कुछ शराब की डिस्टिलिरियों से सांठ गांठ कर स्प्रिट निकलवा कर उसे शराब के खाली बोतलों में भरकर रैपर व ढक्कन लगाकर धड़ल्ले से बेच रहे है। इससे भी सरकार को राजस्व की काफी क्षति हो रही है। चैरीचैरा इलाके में इस धंधे को खूब अंजाम दिया जा रह है। यहां शराब की खाली बोतल दो रुपए व उसका ढक्कन 50 पैसे में बड़े ही आसानी से भरपूर मात्रा में मिल जाता है। यहां की पैक की गई नकली शराब थोक व फुटकर के भाव में आसपास के जनपदों में सप्लाई किया जाता है।
अब तक लाखों की पकड़ी जा चुकी है शराब
अगर गैर प्रांतों की शराब की बिक्री पर अंकुश लगाने की बात करें तो एकाध मामलो को छोड़ आबकारी विभाग के हाथ पूरी तरह खाली रहे। सहजनवा के थानेदार सत्यप्रकाश सिंह ने एसएसपी डॉक्टर सुनील गुप्ता के निर्देश पर शराब माफियाओं को नेस्तनाबूद करने के लिए रचा चक्रव्यूह पूरी तरह फिट बैठा और नतीजा रहा कि यहां भारी मात्रा में शराब पकड़ी गई।