नई दिल्ली । 75 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग सभी भाजपा नेताओं की इच्छा लोकसभा चुनाव लड़ने की है। ऐसे नेताओं में लगभग सभी दिग्गज नेता हैं जिनकी समाज, क्षेत्र, जनता व अपनी जाति में सम्मान है।
इनमें प्रमुख हैं 91 वर्षीय लालकृष्ण आडवाणी, 85 वर्षीय डा. मुरली मनोहर जोशी, 84 वर्षीय बीसी खंडूरी, 84 वर्षीय शांता कुमार, 82 वर्षीय कड़िया मुंडा, 79 वर्षीय हुकुम देव नारायण, 77 वर्षीय कलराज मिश्रा, 76 वर्षीय भगत सिंह कोश्यारी, 75 वर्षीय सुमित्रा महाजन आदि। सूत्रों का कहना है कि इनमें से किसी ने भी अगला लोकसभा चुनाव लड़ने से मना नहीं किया है। सभी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में यदि भाजपा ने 75 वर्ष से अधिक उम्र के सांसदों का टिकट काटा, 2019 के लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया, तो कई सांसद बगावत भी कर सकते हैं। इधर दिसम्बर 2018 में हुए छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनाव में हारने तथा बदले माहौल के चलते भाजपा शीर्षद्वय कुछ भी ऐसा नहीं चाहते जिससे पार्टी को नुकसान हो तथा सीटें घटें।
सूत्रों का कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 2014 जितनी सीटें तो किसी भी हालत में नहीं आने वाली हैं। ऐसे में पार्टी अपने बुजुर्ग नेताओं को अब और नाराज करने का जोखिम नहीं उठाना चाहती है। सो चुनाव लड़ना या नहीं लड़ना उनके ऊपर छोड़ा जा सकता है। लेकिन चुनाव जीत भी गये तो 75 वर्ष से अधिक उम्र वालों को मंत्री नहीं बनाया जाएगा। जो बुजुर्ग नेता चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जताएंगे उनकी सीट पर किसी और को खड़ा किया जाएगा या उनके किसी परिजन को टिकट दिया जाएगा।
अभी तक जिन दो सांसदों ने अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की पहले ही घोषणा कर दी है वे दोनों ही महिला हैं और मंत्री हैं। और इन दोनों की ही उम्र 75 वर्ष से कम है। इनमें एक सुषमा स्वराज, जिनकी उम्र 66 वर्ष है, दूसरी उमा भारती , जिनकी उम्र 59 वर्ष है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री 88 वर्षीय बाबूलाल गौर को पार्टी ने शिवराज मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिलवाया और दिसम्बर 2018 में हुए राज्य विधानसभा चुनाव में उनका टिकट काटकर उनकी बहू को दे दिया। गौर अब लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए बयानबाजी कर रहे हैं।
पूर्व सांसद हरिकेश बहादुर का कहना है कि किसी भी पार्टी में जब पार्टी प्रमुख या पार्टी का सर्वोच्च शक्तिशाली व्यक्ति अपने पार्टी के किसी नेता को पसंद नहीं करता है तो उसको किसी न किसी बहाने टिकट नहीं देता है| टिकट दिया और वह जीत गया तो मंत्री नहीं बनाता है, कोई महत्वपूर्ण पद नहीं देता है। ऐसा सभी पार्टी में होता रहा है। जहां तक 75 वर्ष से अधिक उम्र वालों को टिकट नहीं देने, मंत्री पद नहीं देने की बात है, तो ऐसा कोई नियम किसी भी पार्टी में नहीं है।ऐसा होता तो इस देश में बहुत से लोग प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मुख्यमंत्री, मंत्री नहीं बन पाये होते। इसलिए यदि किसी कारण विशेष के चलते कोई पार्टी ऐसा करती है तो खुलकर भले ही न हो, लेकिन अंदर-अंदर इसका विरोध होता है। इससे नाराजगी बढ़ती है।
ऐसे में भाजपा आडवाणी, जोशी, खंडूरी, शांता, मुंडा, हुकुमदेव, कलराज,कोश्यारी, सुमित्रा को टिकट देती है या नहीं , इसमें से कितनों का टिकट काट कर इनके परिजनों को देती है , यह देखने लायक होगा । इस बारे में भाजपा सांसद लालसिंह बड़ोदिया का कहना है कि पार्टी व उसके शीर्ष लोग जो भी करेंगे ठीक ही करेंगे। इसलिए इसको लेकर किसी तरह की विवाद वाली बात नहीं होगी।