देहरादून । उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो गया है. इस सत्र में सरकार आज करीब 64 हजार करोड़ रुपये का बजट पेश करेगी. इसके अलावा कई विधेयक भी पेश किए जाएंगे।
इस बजट से आम आदमी को बहुत उम्मीदें हैं. युवाओं को जहां इस बजट में रोजगार के अवसर मिलने की उम्मीद है, वहीं आम आदमी बढ़ती महंगाई की मार से राहत पाना चाहता है. हालांकि वित्तीय बोझ के तले दबा उत्तराखंड के लिए यह टेढ़ी खीर साबित हो सकता है।
कर्मचारियों को तनख्वाह देने के भी सरकार को लाले पड़ने लगे
उत्तराखंड जैसे छोटे हिमालयी राज्य पर सिर्फ 22 सालों में कर्जा अब एक लाख करोड़ की तरफ बढ़ चुका है. आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले 22 सालों में 4 हजार करोड़ का कर्ज अब एक लाख करोड़ की तरफ होने को है. खराब वित्तीय हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राज्य सरकार कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए भी लोन ले रही है. अब धीरे-धीरे कर्मचारियों को तनख्वाह देने के भी सरकार को लाले पड़ने लगे हैं।
सरकार की नीतियां फेल होती दिख रही
पिछले वित्तीय वर्ष की बात करें तो 2021-22 में 57,400 करोड़ का पेश बजट हुआ था. लेकिन इस बार यह बजट 10 फीसदी बढ़ोतरी के साथ करीब 64 हजार करोड़ से अधिक का हो सकता है. वहीं, कांग्रेस का कहना है कि सरकार की करनी और करनी में बहुत अंतर है. अब यह बजट के बाद ही पता लग पाएगा कि सरकार कितना उत्तराखंड के लोगों के ऊपर चढ़ा कर्जा उतार पाती है. हालांकि जिस तरह से प्रदेश के ऊपर कर्जा बढ़ रहा है, उससे तो सरकार की नीतियां फेल ही होती दिख रही है।
सरकार महंगाई से राहत देने के मूड में
इस बजट सत्र में कुछ ऐसी योजनाओं की उम्मीद बनी हुई है, जो गरीब और मध्यम परिवार को महंगाई से राहत दे सके. हालांकि नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य का मानना है कि सरकार के मौजूदा फैसलों से ऐसे कहीं भी नहीं लगता कि सरकार जरूरतमंदों को महंगाई से राहत देने के मूड में है।
वहीं, राज्य के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के मुताबिक यह बजट जनता के अनुरूप होगा. इसमें सभी वर्गों का ध्यान रखा जाएगा. सरकार को जिन माध्यमों से राजस्व आता है, उसे बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. साथ ही कोशिश होगी कि महंगाई के मुद्दे पर भी सरकार कुछ ऐसे फैसले ले, जो बेहतर परिस्थितियां पैदा कर सके और महंगाई को लेकर जनता को राहत मिल सके।
उत्तराखंड पर बढ़ते कर्ज को लेकर बहुजन समाज पार्टी के नेता और विधायक शहजाद ने भी कहा है कि उम्मीद यही की जाती है कि बेरोजगारी, महंगाई और अन्य मुद्दों पर भी यह बजट होना चाहिए. वैसे तो बजट के बाद ही पता लग पाएगा कि राज्य सरकार सही मायने में कर्जा उतार को लेकर कोई नीति लाती है या नहीं।