एमएमजी अस्पताल में मिरैकल फीट इंडिया के सहयोग से खुली क्लीनिक

गाजियाबाद । ‘क्लब फुट’ एक जन्मजात बीमारी है, लेकिन इसका इलाज किया जा सकता है। मिरैकल फीट इंडिया नामक संस्था के सहयोग से जिला एमएमजी अस्पताल में ‘क्लब फुट’ के इलाज की सुविधा शुरू की गई है। एमएमजी अस्पताल के सीएमएस डा. रविंद्र राणा ने बताया कि यह एक जन्मजात दोष है। इसमें बच्चे के पैर का आकार बिगड़ जाता है। मिरैकल फीट इंडिया के सहयोग से जिला एमएमजी अस्पताल में इसके इलाज की निशुल्क व्यवस्था की गई है। सीएमएस ने बताया कि यह संस्था उत्तर प्रदेश में ‘क्लब फुट’ वाले बच्चों का उपचार कर रही है।
उत्तर प्रदेश सरकार के परिवार कल्याण विभाग और नेशनल हैल्थ मिशन के साथ मिलकर मिरैकल फीट इंडिया ‘क्लब फुट’ से पीड़ित बच्चों के लिए काम कर रही है। इसके लिए जुलाई, 2008 में संस्था ने उत्तर प्रदेश सरकार के साथ एग्रीमेंट किया था। जिसके तहत संस्था यूपी के जिला अस्पतालों में आठ ‘क्लब फुट’ क्लीलिक चला रही है। संस्था मेडिकल एजुकेशन में भी बिना किसी लाभ के काम करती है। आंकड़ों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में हर साल सात हजार बच्चे इस जन्मजात दोष से पीड़ित होते हैं।
यह दोष दिव्यांगता का एक बड़ा कारण है। फुट क्लब से पीड़ित बच्चों में से 70 फीसदी बच्चों का इलाज अगले पांच साल में करने के लक्ष्य के साथ मिरैकल फीट इंडिया सूबे में काम कर रही है। गाजियाबाद में जिला एमएमजी अस्पताल के अलावा मलखान सिंह जिला अस्पताल अलीगढ़, दीनदयाल अस्पताल अलीगढ़, बलरामपुर जिला अस्पताल लखनऊ, आगरा जिला अस्पताल, तेज बहादुर सप्रू अस्पताल इलाहाबाद, उर्सुला हॉर्समैन जिला अस्पताल कानपुर, गणेश शंकर विद्यार्थी मैमोरियल मेडिकल कॉलेज कानपुर, गवर्नमेंट मेडिकल कन्नौज और जिला अस्पताल कन्नौज में मिरैकल फीट इंडिया अपनी क्लीनिक का संचालन कर रही है।

क्या है क्लब फुट
इसमें जन्म से ही बच्चे का एक या दोनों पैर अंदर की तरफ मुड़े होते हैं। इसे टेलिप्स भी कहा जाता है। जल्दी उपचार शुरू किया जाए तो बच्चे के पैर पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। आमतौर पर इसका उपचार बिना सर्जरी के ही संभव हो जाता है, हालांकि कभी-कभी सर्जरी भी करनी पड़ती है। क्लब फुट बच्चों के लिए दर्दनाक नहीं है लेकिन उपचार नहीं करने पर जब ये बच्चे बड़े हो जाते हैं तो उनका चलना मुश्किल हो जाता है। क्लब फुट की समस्या काफी आम है।
क्लब फुट के लक्षण
- – पैर नीचे की ओर मुड़े होते हैं और पैर की उंगलियां अंदर की ओर घूम जाती हैं।
- – पैर एक तरफ या कभी-कभी उल्टे दिखाई देते हैं।
- – पैर सामान्य पैर से आधा इंच तक छोटा हो सकता है।
- – प्रभावित पैर में पिंडलियों की मांसपेशियां पूरी तरह विकसित नहीं हो पातीं।
- – चलते समय प्रभावित पैर की गति सीमित हो सकती है।
- – प्रभावित बच्चे लड़खड़ाकर चलते हैं।
- – बच्चे संतुलन बनाने के लिए प्रभावित पैर को बाहर निकाल लेते हैं।
क्लब फुट के खतरे
- अगर माता या पिता को यह दोष है तो बच्चे को भी हो सकता है।
- गर्भावस्था के दौरान संक्रमण से क्लबफुट का जोखिम बढ़ सकता है।
- गर्भ में बच्चा जिस तरल पदार्थ में रहता है उसकी मात्रा कम होने से क्लब फुट का जोखिम बढ़ जाता है।













