सात दिवसीय श्रीमदभागवत कथा भव्य यज्ञ और भंडारे के साथ सम्पन्न 

दक्षिणा का अर्थ दान नही बल्कि भक्त के अंहकार का विसर्जन है – व्यास 
गाजियाबाद। हिन्डन पार क्षेत्र के ब्रिजविहार स्थित श्री सत्यनारायण मंदिर परिसर में चल रही सात दिवसीय श्री मदभागवत कथा आज भव्य यज्ञ और भंडारे के साथ सम्पन्न हो गयी। समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए पूज्य कथा मर्मज्ञ श्री गोविन्द शर्मा व्यासजी ने अपने व्याख्यान में कहा कि दक्षिणा देने का मतलब कदापि किसी मंदिर में दान देना नही है, बल्कि दक्षिणा का अर्थ भक्त भगवान के समक्ष अपनी बुराईयो , कमियो और अंहकार का समर्पण करते है। अपनी अमृत ज्ञान की वर्षा करते हुए श्रद्वेय गुरूदेव ने कहा कि जब हम अपने अहंकार का त्याग कर देते है तो हमारा मन निर्मल और पवित्र हो जाता है और हमारे सारे पाप भी नारायण भगवान माफ कर देते है।
श्रीमदभागवत  कथा के दौरान कलश स्थापना क्यो की जाती है , इस पर उन्होने कहा कि कथा के दौरान भक्त का मन यदि एकाग्रचित न हो पाये तो यह कलश उस भक्त के प्रतिनिधि के रूप में भगवान के समक्ष एकाग्र होकर  अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है। अपने व्याख्यान की अमृतवाणी को पूज्यगुरू देव ने कहा कि इस कलश के अन्दर जो जल होता है। वह किसी भी बीमारी के इलाज का भी काम करता है। क्योकि यह जल कलश के अन्दर अभिमंत्रित हो जाता है और यह जल एक दिव्य जल बन जाता है जो भक्त की अनेक बीमारियो के उन्मूलन का काम करता है।
इस जल के सेवन मात्र से गम्भीर से गम्भीर चर्म रोग ठीक हो जाते है। इस मौके पर बिंजविहार की पार्षद सुनीता त्यागी ,प्रदीप विशाल नरेंद्र सिंह दिनेश बाॅस्की मनोरमा ,राजकुमारी बबली ,रीता ,पूनम रविन्द्र नाथ कपूर सविता कपूर आदि प्रमुख रूप से मौजूद थे। अन्त में इस कथा की आयोजक श्रीमति प्रोमिला निर्वाण ने सभी श्रद्वालुओ का मदिर परिसर में हृदय से आभार व्यक्त किया।