
कांग्रेस आलाकमान गहलोत को हटाकर किसी और राजस्थान का सीएम बनाना चाहता है. लेकिन गहलोत समर्थक विधायक सचिन पायलट के नाम पर ज़रा भी सहमत नहीं है. विधायक गहलोत को या फिर गहलोत गुट के ही किसी विधायक को मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं. अपनी मांग की समर्थन में गहलोत गुट के 92 विधायकों ने स्पीकर को सामूहिक इस्तीफ़ा तक दे दिया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फ़ोन पर आलाकमान से कह दिया है कि अब मेरे बस में कुछ भी नहीं है. फोन पर गहलोत का ये कहना साफ इशारा था कि पानी सिर से ऊपर गुज़र चुका है.
गहलोत ने कर दिया खेला
कांग्रेस आलाकमान को राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन शायद आसान लग रहा था. उन्हें लगा की अशोक गहलोत वफ़ादार सिपाही की तरह आलाकमान की बात मानकर आसानी से मुख्यमंत्री का पद छोड़ देंगे. लेकिन ख़ुद को जादूगर कहने वाले अशोक गहलोत ने लगता है एक बार फिर खेला कर दिया है. गहलोत गुट के विधायकों ने साफ कह दिया है कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के ख़िलाफ़ हैं.
विधायक दल की बैठक में गहलोत गुट के विधायक पहुंचे ही नहीं, इसलिए विधायक दल की बैठक रद्द करनी पड़ी. इसके बाद रात को गहलोत गुट के 82 विधायक स्पीकर सीपी जोशी के घर पहुंचे. उन्होंने अपना इस्तीफ़ा स्पीकर को सौंप दिया. मंत्री प्रताप सिंह का दावा है कि 92 विधायकों ने इस्तीफ़े पर हस्ताक्षर किए हैं.
19 अक्टूबर तक न हो विधायक दल की बैठक
अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों ने कांग्रेस आलाकमान से ये भी मांग की है कि 19 अक्टूबर तक कांग्रेस विधायक दल की बैठक न हो. कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के नतीजे के बाद बैठक हो. इसके अलावा विधायक 19 अक्टूबर के बाद दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे.
इस बीच गहलोत के खासमख़ास मंत्री शांति धारीवाल के घर पर विधायकों ने एक बैठक कर प्रस्ताव पास किया कि सचिन पायलट की बग़ावत के वक्त बेड़ाबंदी में मौजूद विधायकों में से ही किसी को मुख्यमंत्री बनाया जाए.
घमासान से आलाकमान नाराज
गहलोत और पायलट गुट में मचे घमासान पर कांग्रेस आलाकमान सख्त नाराज़ है. सूत्रों के मुताबिक आलाकमान के निर्देश पर केसी वेणुगोपाल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से फोन पर पूछा कि ऐसे हालात क्यों बने? तो जवाब में गहलोत ने कहा कि अब मेरे बस में कुछ भी नहीं है. ये विधायकों की भावना है. ये विधायकों का कदम है मेरा नहीं.
हालांकि वेणुगोपाल गहलोत से फोन पर किसी भी तरह की बातचीत से इनकार कर रहे हैं. लेकिन सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस आलाकमान ने पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन को कहा कि एक-एक विधायक से मिलकर बात करें चाहें रात गुजर जाए.
बीजेपी-आप ने ली चुटकी
लेकिन गहलोत समर्थक विधायक और मंत्री उन्हें ही सीएम पद पर बने हुए देखना चाहते हैं. एक दिन पहले अशोक गहलोत अपने मंत्रियों के साथ जैसलमेर में टनोट माता मंदिर के दर्शन करने गए थे. वहां पर उन्होंने पहले ही इशारा कर दिया था कि उनकी इच्छा राजस्थान के मुख्यमंत्री पद बने रहने की है और ये बात उन्होंने कांग्रेस आलाकमान को अगस्त में ही बता दी थी.
इस बीच राजस्थान कांग्रेस में मचे घमासान पर बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने चुटकी ली. बीजेपी नेता भूपेंद्र यादव ने सीएम अशोक गहलोत, सचिन पायलट और राहुल गांधी की तस्वीर शेयर करते हुए ट्वीट कर लिखा- कृपया पहले इन्हें जोड़ लो. वहीं आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि राजस्थान में केजरीवाल ही विकल्प. राजस्थान में आपसी कलह की तरह कांग्रेस पंजाब को गंवा चुकी है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस हाईकमान एक बार फिर पार्टी की ज़मीनी हकीकत को भांपने में नाकाम रहा है?















