- चार अप्रैल को अगली सुनवाई, तीसरे चरण के नामांकन का आखिरी दिन भी 04 अप्रैल
नयी दिल्ली. गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को मंगलवार को उस वक्त तगड़ा झटका लगा जब उच्चतम न्यायालय ने 2015 के मेहसाणा दंगा मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी अपील की त्वरित सुनवाई से इन्कार कर दिया। हार्दिक के वकील ने न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति एम एम शांतनगौदर और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ के समक्ष मामले का विशेष उल्लेख किया तथा याचिका की त्वरित सुनवाई का उससे अनुरोध किया, लेकिन खंडपीठ ने उनका अनुरोध ठुकरा दिया।
Lower court at Mehsana, Gujarat had sentenced him to 2 yrs' imprisonment in July last yr, for rioting & arson in 2015, during the Patidar quota protests. He had then approached Gujarat HC seeking suspension of his conviction so he can contest elections, but his plea was rejected. https://t.co/EwOptNblaS
— ANI (@ANI) April 2, 2019
न्यायालय ने कहा कि गुजरात उच्च न्यायाल के फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता की अपील पर त्वरित सुनवाई का कोई करण नहीं दिखता। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि उच्च न्यायालय ने पिछले वर्ष अगस्त में ही दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था, फिर इतने समय बाद अचानक त्वरित सुनवाई की क्या जल्दबाजी आन पड़ी। न्यायालय ने याचिका की त्वरित सुनवाई से यह कहते हुए इन्कार किया,“आदेश अगस्त 2018 में जारी हुआ था, अब सुनवाई की जल्दबाजी क्यों आ गयी।” पिछले साल जुलाई में मेहसाणा जिले के विसनगर में सत्र अदालत ने पटेल को दो साल जेल की सजा सुनायी थी। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हार्दिक ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी कि उन्हें चुनाव लड़ने के लिए सजा से राहत दी जाये, लेकिन न्यायालय ने उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य साबित हो गये। अब उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से गुहार लगायी है।
जन प्रतिनिधित्व कानून और शीर्ष अदालत की व्यवस्था के तहत दो साल या इससे अधिक जेल की सजा काट रहा व्यक्ति दोषसिद्धि पर रोक लगने तक चुनाव नहीं लड़ सकता।