सीतापुर: इस बार नई ‘इबारत’ लिखने को तैयार मतदाता

नैमिषारण्य-सीतापुर। दिसंबर की तरफ बढ़ते हुए हर दिन के साथ जिले की राजनीतिक फिजाओं में निकाय चुनाव की सरगर्मी भी बढ़ने लगी है। निर्वाचन आयोग द्वारा पूर्व में जारी सूचना के अनुसार नवंबर-दिसंबर में निकाय चुनाव हो सकते हैं। ऐसे में सीतापुर जनपद की हॉट सीट मानी जाने वाली मिश्रिख नैमिषारण्य सीट भी चर्चाओं में आती दिख रही है।

मिश्रिख विधायक तथा पालिका अध्यक्ष की लड़ाई में पिछड़ी नगर पालिका मिश्रिख-नैमिषारण्य

नैमिषारण्य तीर्थ के आध्यात्मिक महत्व के चलते चुनावी संदेश के लिहाज से भी ये सीट काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। 2017 तक ये सीट जहां सपा का गढ़ मानी जाती थी वही 2017 में भाजपा समर्थित सरला भार्गव ने कुल पड़े 14,771 वोटों में से 3021 मत पाकर इस सीट पर भाजपा का परचम फहराया था। इस चुनाव में जहां निर्दलीय प्रत्यासी मुन्नी देवी 2085 मत पाकर दूसरे स्थान पर रही थी वहीं सपा प्रत्याशी अरुणा देवी 1892 वोट पाकर तीसरे स्थान पर संघर्ष करती हुई अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई थी।

दशकों से सामान्य वर्ग को है इस सीट के सामान्य होने का इंतजार

इस चुनाव में आलम कुछ यूं था की चुनाव लड़ रहे 14 प्रत्याशियों में से 12 प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए थे। वही नोटा को भी 28 वोट प्राप्त हुए थे। 2017 के निकाय चुनाव से पहले 2012 के निकाय चुनाव में इस सीट पर सपा के रामशंकर वर्मा विजयी रहे थे। वहीं इससे पहले 2007 के निकाय चुनाव में जिले के कद्दावर नेता सपा ओम प्रकाश गुप्ता की पत्नी कमला गुप्ता निर्विरोध नगर पालिका अध्यक्ष चुनी गई थी। इससे पहले वर्ष 2003 में राम शंकर वर्मा और 1998 में सरिता वर्मा के सर इस नगर पालिका अध्यक्ष पद का ताज सजा था।

दशकों से सामान्य होने का है इंतजार

मिश्रिख-नैमिषारण्य नगर पालिका सीट की यदि हम चुनावी गणित की बात करें तो 2011 की जनगणना के अनुसार पालिका क्षेत्र में अनुसूचित वर्ग की जनसंख्या 15 प्रतिशत, ओबीसी की 38 प्रतिशत तथा सामान्य वर्ग की जनसंख्या 46 प्रतिशत है। बीते कई दशकों से यहां एससी, ओबीसी और फिर एससी वर्ग का ही व्यक्ति माननीय बनता चला आ रहा हैं, जबकि मिश्रिख लोकसभा सीट पहले से ही एससी है। वही मिश्रिख विधानसभा सीट भी 2012 के चुनाव से एससी हो चुकी है। मिश्रिख ब्लाक प्रमुख की सीट भी 2021 से पहले एससी ही चली आ रही थी जो 2021 में सामान्य घोषित हुई थी।

नगर पालिका अध्यक्षा व विधायक की रार में अटका क्षेत्र का विकास

ऐसे में इस सीट पर सामान्य वर्ग के प्रत्याशी बीते कई दशकों से मन मसोस कर ही रह रहे हैं। नगर पालिका क्षेत्र में सामान्य वर्ग के जाने पहचाने ऐसे कई चेहरे हैं जो हर चुनाव के पहले जोर-शोर से जनसंपर्क अभियान में जुड़ जाते हैं। वही चुनाव की घोषणा होते ही सीट के आरक्षित वर्ग की श्रेणी में जाने की घोषणा सुनकर चुनाव आगे बढ़ने के साथ-साथ जिताऊ प्रत्याशी के पीछे पिछलग्गू बन कर ही रह जाते हैं। ऐसे में सामान्य वर्ग के माननीयों की चाहत रखने वालों लोगों के लिए इस बार एक बार फिर निर्वाचन आयोग से इस सीट के सामान्य होने की बड़ी उम्मीदें हैं।

पालिका अध्यक्षा व विधायक की रार में अटका विकास

नगर पालिका के क्षेत्रवासियों की माने तो 2017 में मिश्रिख नैमिषारण्य नगरपालिका सीट पर भाजपा के टिकट से सरला भार्गव निर्वाचित हुई थी जो कि मौजूदा विधायक रामकृष्ण भार्गव की रिश्ते में बहु हैं। चुनाव जीतने के बाद बहू और ससुर के रिश्ते में काफी तल्खी आ गई और दोनों के सियासी रास्ते अलग-अलग हो गए। जिसका खामियाजा नगर पालिका वासियों को भुगतना पड़ा। नगर पालिका में साफ सफाई व्यवस्था और विकास कार्य काफी हद तक प्रभावित हुए। हालात ऐसे आ गए कि नगरपालिका अध्यक्षा के अधिकार भी सीज कर दिए गए थे जो काफी जद्दोजहद के बाद हाई कोर्ट से बहाल हुए। इस दौरान नगर पालिका ईओ आरपी सिंह की कार्यशैली भी सवालों के घेरे में रही।

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